कानपुर. कानपुर में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के बेडरूम से करोड़ों रुपये मिलने के बाद हमीरपुर के तंबाकू कारोबारी के बेड ने भी करोड़ों रुपये उगले हैं. तंबाकू-सुपारी की फर्म ओजस इंटरप्राइजेज के मालिक गुप्ता बंधुओं (जगतबाबू और प्रदीप गुप्ता) के बेडरूम से 6.31 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं.
दोनों भाइयों ने दो हजार रुपये नोटों के गद्दे बनवा रखे थे. सेंट्रल जीएसटी के छापों में यह नगदी बरामद हुई है. हमीरपुर और कानपुर में पांच ठिकानों में पिछले चौबीस घंटे से छापे चल रहे थे. काली कमाई का लिंक कानपुर से जुड़ा पाया गया है. सीजीएसटी टीम ने दोनों भाइयों के आवास और कारखाने में छापे मारे.
कानपुर में बिरहाना रोड स्थित उनके रिश्तेदार रामावतार गुप्ता और सहदेव गुप्ता के आवास को भी जांच की जद में लिया. दोनों फर्मों के सलाहकार कीर्ति शंकर शुक्ल उर्फ श्यामू शुक्ल के दफ्तरों पर भी कानपुर में छापे मारे गए. कारोबारियों के सारे दस्तावेज वहीं रखे जाते थे. नयागंज में उन्हें सप्लाई करने वाले कारोबारियों पर भी सीजीएसटी ने शिकंजा कसा है.
सबसे बड़ी कैश रिकवरी में से एक
सीजीएसटी कानपुर की यह प्रदेश की सबसे बड़ी कैश रिकवरी है. टीम ने दोनों भाइयों के कमरों में रखे डबल बेड से 6,31,11,800 रुपये बरामद किए. इनकी गिनती के लिए नोट गिनने वाली तीन मशीनें मंगानी पड़ीं. सीजीएसटी कमिश्नर सोमेश तिवारी के मुताबिक, कारोबारियों ने कबूल किया है कि यह रकम बिना दस्तावेजों के माल बेचकर जमा की गई है. उनके कारखानों से बिना दस्तावेजों के 1520 किलो सुपारी, 6 बोरा तंबाकू, 95 किलो पैकिंग रोल, 13,700 पाउच सुपारी और 38000 पाउच तंबाकू जब्त की गई.
गेट ही नहीं खोला टीम के तेवर देख डरे
मंगलवार 6 बजे कानपुर सीजीएसटी आयुक्त कार्यालय से पांच गाड़ियों में आई टीम ने सुमेरपुर की पुरानी गल्ला मंडी में तंबाकू व्यवसायी जगत गुप्ता के आवास एवं फैक्ट्री में छापा मारा था. व्यवसायी ने आवास का गेट खोलने में आनाकानी की लेकिन टीम ने जब कड़ा रुख अख्तियार किया तो गेट खोल दिया. 18 घंटे की छापेमारी के बाद 6.31 करोड़ रुपये तीन बक्सों में भरकर एसबीआई में जमा किए गए हैं. सीजीएसटी टीम ने नोट गिनने के लिए एसबीआई हमीरपुर की मशीनें तथा कर्मियों का सहयोग लिया.
दस साल पहले डीएम ने मारा था छापा
2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी जी. श्रीनिवास लू ने छापा मारा था और अवैध ढंग से कारोबार करने के साथ टैक्स चोरी आदि में कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री को सील कर दिया था. इस छापेमारी में राकेश गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था जो विचाराधीन है. इसके बाद जगत ने दोनों साझीदारों को व्यवसाय में घाटा दिखाकर अलग कर दिया और 2013 में नौकर के नाम रजिस्ट्रेशन कराकर ब्रांड बदलकर पुन: कारोबार शुरू किया. अब यह ब्रांड भी बाजार में छाया हुआ है.
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