यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः । वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः ।। 
कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम् । क्रियाविशेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति ।।

इसका अर्थ ये है कि जो कामनाओं में तन्मय हो रहे हैं, स्वर्ग को ही श्रेष्ठ मानने वाले हैं, वेदों में कहे हुए सकाम कर्मों में प्रीति रखने वाले हैं, इस दुनिया में सभी प्रकार के भोगों के सिवाय और कुछ है ही नहीं ऐसा सोचते हैं, भोग और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए लगातार पाप के भागी बनते हैं. उनका तो यही भाव होता है कि कामना के बिना आदमी जी नहीं सकता. भौतिक सुख एवं साधना की चाह से विभिन्न प्रकार के कर्म करता है, जिसमें कई बार लोगों को दुखी भी करता है और अपने स्वार्थ के लिए गलत कर्म करने से भी नहीं चुकता.

सुख और भौतिक वस्तुओं की चाह तो सामान्य मनुष्य की चाह होती ही है, किंतु किसी भी प्रकार से भोगविलास की चाह से किया गया कर्म तात्कालीक में तो सुखी करता है किंतु भविष्य के सुख से वंचित कर देता है. अतः इस लोक में पूरा जीवन सुख और शांति मय बिताने के र्लिए एश्वर्य और सुख की कामना तो जरूर करें किंतु किसी भी व्यक्ति को दुखी और कष्ट देकर नहीं इसलिए समस्त ग्रह जिस प्रकार असर करते हैं उसमें से शुक्र भी इस प्रकार के भौतिक सुख और दुख का कारण होता है.

किसी की कुंडली में अगर शुक्र अच्छा है, तो यदि कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ प्रभाव देने वाला होता है तो व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में हर भौतिक सुख की प्राप्ति होती है. शुक्र के विशेष प्रभाव से वह जीवनभर सुखी रहता है. शुक्र के शुभ प्रभाव के चलते व्यक्ति सौम्य और अत्यंत सुंदर होते है. यदि किसी की कुंडली में शुक्र शुभ प्रभाव देता है, तो वह जातक आकर्षक, सुंदर और मनमोहक होता है. किंतु अगर जीवन में किसी के निरंतर आर्थिक शारीरिक कष्ट आ रहा हो, सामान्य से कष्ट जैसे अच्छा घर होते हुए भी अपने घर का सुख न मिल पाना लगातार बाहर रहना या होस्टल में सामान्य परिवेश में पालन होना, निरंतर भोजन के समय ताजा या सुस्वादु भोजन का न मिल पाना, वस्त्र या अन्य घरेलू सुख में कमी, विवाद में देरी या बाधा आदि सामान्य कष्ट भी भौतिक सुख में कमी का कारण दिखाई देते हैं.

सभी प्रकार के सुख सुविधा होते हुए भी आप उनका लाभ नहीं ले पाएंगे और रात में सुकून से नहीं सो पाएंगे. अच्छा घर है लेकिन घर में रोज लड़ाई झगड़े होते रहते हैं, यह सब शुक्र के खराब होने के लक्षण हैं. अगर बहुत मेहनत करने के बाद भी सुख सुविधा नहीं मिल रही हैं, शुक्र के खराब होने पर व्यक्ति आसक्त होता है.

अतः इस प्रकार दैनिक जीवन में सुख की कमी हो तो दूसरो को दुखी कर कभी भी धन या किसी सुख की चाह न करें और जो आसानी से हासिल हो और बिना किसी को दुखी किए प्राप्त हो उस प्रकार के सुख प्राप्त करने का उपाय करें. साथ ही नित्य प्रातः शुक्र के मंत्र का जप करें.

शुक्र का मंत्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः है. शुक्रवार के दिन सफेद मिठाई का दान करें.

शुक्र का दान

शुक्रवार के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार सफेद वस्तुओं जैसे चीनी, दूध, चावल, चांदी, इत्र आदि का दान करें.