कुमार इंदर, जबलपुर। एकमो मशीन: हार्ट और किडनी की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए जबलपुर से अच्छी खबर आई है। अब हार्ट और फेफड़ों के मरीज बिना लाइफ सिस्टम के सिर्फ एक मशीन लगा देने से तीन दिन तक जिंदा रह सकते हैं। वहीं हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के मेडिकल छात्रों ने इस मशीन का अविष्कार किया है और नाम दिया है ‘एकमो’ मशीन। यह एक मशीन किसी भी मरीज के हार्ट बंद होने की स्थिति में भी उसे जिंदा रख सकती है।
हाल ही में जबलपुर में सल्फास खाने के बाद एक मरीज का बचना मुश्किल हो गया था। मरीज के दिल ने काम करना बंद कर दिया था। तभी बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में उस मरीज को ‘एकमो’ मशीन के जरिए ही जान बचाई गई थी।
एकमो मशीन की तकनीक से यदि किसी मरीज को हार्ट ट्रांसप्लांट कराने के लिए दूसरी जगह शिफ्ट करना है तो उसे एक्वा मशीन के जरिए बड़ी आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है। क्योंकि इससे पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए मरीज ए डोनर को ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था करनी पड़ती थी लेकिन इस मशीन के आने से अब समय की पाबंदी नहीं रह गई है। मरीज को मशीन लगाकार आराम से कहीं भी ले जा सकेंगे।
इस तरह मशीन करता है काम
एकमो मशीन वेंटिलेटर से ऊपर की लाइफ सपोर्ट मशीन है। यह हाथ और फेफड़ों को बाईपास करते हुए अलग से हॉट का काम करती है। यही नहीं यह मशीन मरीज को बाहर से ऑक्सीजन देने का भी काम करती है। एकमो मशीन के पास अपना सेपरेट ऑक्सीमीटर होता है, जबकि वेंटिलेटर मरीज के फेफड़ों का उपयोग करके ऑक्सीजन देता है। मरीज को एमको लगाते समय उसके हार्ट और लंस को बायपास कर देते हैं। इससे मरीज के हाथ और लंग्स को आराम मिलता है, जिससे मरीज की हालत सुधरती है।
खरगोन और करौली दंगे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बड़ा बयान, बोले- ये घटनाएं संयोग नहीं प्रयोग है, भारत में राम नवमी जुलूस क्या औवेसी से पूछकर निकालेंगे?
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें