रोहित कश्यप, मुंगेली. किसानों का त्यौहार कहे जाने वाले सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “धान समर्थन मूल्य योजना” में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है. जहां शासकीय भूमि की जमीन पर किसान का रकबा बढ़ाकर धान बेचकर शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है. हालांकि इस मामले में जांच के बाद दोषी पाए गए 11 लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज कर लिया गया है, लेकिन मामले की जांच और कार्रवाई पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं. इस मामले पर राजनीति भी अब चरम पर है.
ये है पूरा मामला
सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक धान समर्थन मूल्य योजना जिसे किसानों का त्यौहार कहा जाता है. इस योजना पर धान बेचने के लिए पंजीयन से लेकर भुगतान तक के लिए किसानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. लेकिन मुंगेली जिले के सेवा सहकारी समिति सुरेठा में सरकार को करोड़ों का चूना लगाने के गड़बड़ी की गई है. जहां फर्जी तरीके से राजस्व अमला, सेवा सहकारी समिति सुरेठा के कर्मचारी और कुछ किसानों के द्वारा षड्यंत्र करके मंदिर और शासकीय भूमि को राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर किसान द्वारा अपने नाम में चढ़ाकर रकबा बढ़ाकर पंजीयन करवाया गया है.
साथ ही समिति के कर्मचारियों की संलिप्तता से धान विक्रय किया गया और बाकायदा इसका भुगतान कर दिया गया.योजना में सरकार को करोड़ों रुपये के नुकसान की यह जानकारी लगते ही मंदिर की भूमि के ट्रस्टी और बीजेपी के पदाधिकारियों ने इसकी शिकायत प्रशासन से की. जिसपर मुंगेली कलेक्टर अजीत वसंत के द्वारा जांच की जिम्मेदारी एसडीएम लोरमी को दिया गया. जिस पर लोरमी एसडीएम ने तत्परता के साथ जांच की और 3 दिन के भीतर नामजद 11 लोगों के ऊपर दोष सिद्ध करते हुए प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंप दिया. जिसके बाद कलेक्टर के निर्देशन पर सहायक पंजीयक के द्वारा सेवा सहकारी समिति सुरेठा के धान खरीदी प्रभारी, बारदाना प्रभारी, कम्प्यूटर ऑपरेटर, सम्बन्धित क्षेत्र के पटवारी सहित आधा दर्जन किसान के साथ 11 लोगों के खिलाफ लालपुर थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया गया है. पुलिस इस पर विवेचना कर फरार आरोपी की लगातार पतासाजी कर रही है.
पूर्व CM डॉ रमन सिंह और जिले के प्रभारी मंत्री रुद्र गुरु का यह है कहना
मुंगेली जिले के सुरेठा सेवा सहकारी समिति में हुए धान अनियमितता के मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है. इस मामले में जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सागर सिंह बैस ने जिला प्रशासन पर संतुष्टि पूर्ण कार्रवाई नही होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से इस समिति में शासकीय भूमि व मंदिर की जमीन का फर्जी तरह से रकबा बढ़ाकर पंजीयन कर धान बेचा गया है. इस मामले में राजस्व अधिकारियों की भी संलिप्तता होने की बात चल रही है. कर्मचारियों पर कार्रवाई के नाम पर महज एक पटवारी और तीन धान खरीदी केंद्र के कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है, जबकि जिस अधिकारी के आईडी से किसानों का पंजीयन कराया गया है क्या उन पर कार्रवाई हुई इसको लेकर उन्होंने सवाल उठाया है और इस मामले पर कलेक्टर से बात करने की बात कही है.
इधर किसानों पर हुए मामले दर्ज को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने सरकार पर निशाना साधा है उनका कहना है कि गड़बड़ी करने वाले दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की बजाय किसानों पर एफआईआर दर्ज किया जाना प्रशासनिक आतंकवाद को दिखाता है. वैसे भी पूरे प्रदेश में भय और आतंक का माहौल किसानों, आदिवासियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज हो रहे है. वहीं जिले के प्रभारी मंत्री व छत्तीसगढ़ के पीएचई मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने कहा है कि गलत करने वाले किसी भी दोषी को बख्सा नहीं जाएगा चाहे वो कोई अधिकारी क्यों न हो.
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वहीं इस मामले पर जिस तरह से जांच की गई और कार्रवाई में जितनी ततपरता दिखाइ गई है, वह अब सवालों के घेरे में है. मामले में मुख्य दोषी समिति के कर्मचारियों को बनाया गया है. जबकि रकबा बढ़ाने और काटने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग की होती है, जिसने न केवल रकबा बढ़ाया बल्कि शासकीय भूमि को किसान के नाम पर दर्ज किया गया. इस मामले में निष्पक्ष रूप से जांच हो तो कई बड़े नाम का खुलासा हो सकता है, लेकिन ऐसा करना प्रशासन के लिए गले मे हड्डी के समान हो सकती है.
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