शब्बीर अहमद,भोपाल। एमपी बच्चों के लिए सबसे असुरक्षित जगह है। बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। कोरोन काल में बच्चों पर होने वाले अपराधों की संख्या बढ़ गई है। चाइल्ड लाइन के द्वारा जारी किए गए आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को लेकर पढ़िए ये रिपोर्ट…
बाल अपराध समाज की एक बड़ी समस्या बन गई है। लगातार बाल अपराधों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हाल ही के ताजा आंकड़े यह बताते हैं कि साल 2021-22 में बाल अपराधों की संख्या बढ़ी है। भोपाल में 2018 – 19 में 154 मामले बाल अपराधों के सामने आए थे, लेकिन चाइल्ड लाइन ने 2021-22 के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसमें यह आंकड़ा बढ़कर 400 तक पहुंच गया है। ये आंकड़े केवल भोपाल के है। वहीं पुलिस का कहना है कि बाल अपराधों को रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है।
बाल अपराधों में ना केवल बच्चों के साथ होने वाली हिंसा बल्कि चाइल्ड मैरिज जैसे अपराध भी शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है। बच्चों के साथ उनके घरों में भी हिंसा के मामले सामने आए हैं। कई मामले तो ऐसे हैं जो रिपोर्ट ही नहीं होते हैं।
-2020 में मध्य प्रदेश में 11322 मामले बाल अपराधों के मध्य प्रदेश में सामने आए थे
-बाल हिंसा, बाल विवाह और साइबर क्राइम जैसे मामले बच्चों के साथ बढ़े हैं।
-2019-20 में 38 बाल अपराधों की जानकारी चाइल्ड लाइन को भोपाल में मिली।
-2021-22 में यह आंकड़ा 59 पर पहुंच गया।
-बच्चों के साथ होने वाले अन्य अपराधों का आंकड़ा 49 से बढ़कर 118 पर पहुंच गया।
-पिछले साल बाल यौन शोषण के 83 मामले चाइल्ड लाइन भोपाल के पास पहुंचे।
सबसे ज्यादा बढ़ोतरी साइबर क्राइम में हुुई
-2019-20 में केवल 9 मामले सामने आए थे।
-जो 2021-22 में बढ़कर 76 पर पहुंच गए।
इनमें गेमिंग और बच्चों के साथ ऑनलाइन ठगी के साथ ब्लैकमेलिंग भी शामिल है।
पिछले 4 साल का भी अगर आंकड़ा उठाकर देखें तो–
-2018-19 में 154 बाल अपराध के मामले सामने आए।
-2019-20 में 198 बाल अपराध के मामले सामने आए।
-2020-21 में 326 बाल अपराध के मामले सामने आए।
-2021-22 में 402 बाल अपराध के मामले सामने आए।
हर साल ये आंकड़े बढ़ते ही नजर आ रहें हैं। बाल अपराधों से जुड़े आंकड़े अपने आप को हिला देने वाले हैं, क्योंकि बाल अपराधों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कितनी ही कोशिश की जा रही है और ना जाने कितने ही संगठन बाल अपराधों को रोकने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन यह सभी कोशिशें इन आंकड़ों के आगे बेअसर नजर आ रही है।
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