रायपुर. क्षेत्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन रायपुर में इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ बैंगलुरु, इंडियन अलायंस, द यूनियन, पं. जवाहर लाल नेहरु चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर और इंडियन एसोशिएशन ऑफ प्रिवेन्टींग एण्ड सोशल मेडिसीन रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया गया. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य देश में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम और तंबाकू नियंत्रण नीतियों के क्रियान्वयन को समझने और देश के विभिन्न जनसांख्यिकीय क्षेत्रों में तंबाकू नियंत्रण नीतियों के क्रियान्वयन में विभिन्न चुनौतियों को समझना और आगामी रणनीति तैयार किया जाना है.

कार्यशाला सत्र का शुभारंभ नीरज बंसोड, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ और डॉ. तृप्ति नागरिया अधिष्ठाता, पं. जेएनएम मेडिकल कॉलेज रायपुर ने किया और तंबाकू नियंत्रण नीतियों में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की गई. साथ ही तंबाकू नियंत्रण की दिशा में आने वाली चुनौतियों के संबंध में चिंता व्यक्त की गई. अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय ने महिलाओं द्वारा तंबाकू उपयोग किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए महिलाओं को तंबाकू से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से अवगत कराया. डॉ. तृप्ति नागरीया, अधिष्ठाता पं. जवाहरलाल स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए महिलाओं के द्वारा तंबाकू उपयोग को रोकने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.

डॉ. प्रगति हेब्बार सहायक निदेशक, आईपीएच, बेंगलुरू ने बताया कि आईपीएच द्वारा इस परामर्श कार्यशाला का आयोजन अनुष्ठाना परियोजना के अंतर्गत किया गया है. यह कार्यशाला इस बात पर केंद्रित है कि देश भर में तंबाकू नियंत्रण नीतियों को कैसे लागू किया जा रहा है और इसे और बेहतर कैसे किया जा सकता है. द यूनियन के वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार डॉ. अमित यादव द्वारा तंबाकू नियंत्रण के लिए कोटपा एक्ट 2003 के प्रवधानों के साथ-साथ अवगत कराया कि देश में कई प्रभावी नीतियॉ जैसे – खाद्य सुरक्षा अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम आदि हैं, जिनके उचित क्रियान्वयन से तंबाकू नियंत्रण की दिशा में बेहतर प्रयास किए जा सकते हैं, जिनसे तम्बाकू उपयोग से नई पीढ़ी को जुड़ने से रोका जा सकता है.

कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से उपस्थित प्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने राज्य के अनुभव और किए जा रहे कार्यों को साझा किया. जिसके तहत छत्तीसगढ़ के तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी द्वारा राज्य में तंबाकू नियंत्रण के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थाओं के दिशा निर्देशों का क्रियान्वयन करने और अंर्तविभागीय समन्वय स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को साझा किया गया. बिहार के प्रतिनिधि द्वारा प्रवर्तन व अंर्तविभागीय समन्वय स्थापित करते हुए तंबाकू मूक्त राज्य घोषित किए जाने के अपने अनुभवों को साझा किया.

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल द्वारा तंबाकू और तंबाकू उत्पादों के क्रय-विक्रय को नियंत्रित करने के लिए वेंडर लायसेंसिंग की प्रक्रिया को लागु किया गया है. गुजरात राज्य के प्रतिनिधि द्वारा अवगत कराया गया कि राज्य में धुम्रपान मुक्त औद्योगिक क्षेत्र, तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान, तंबाकू मुक्त ग्राम पंचायत के लिए विशेष ग्रमा सभा के आयोजन जैसी रणनीतियों के माध्यम से तंबाकू नियंत्रण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. धुम्रपान मुक्त घोषित हो चूके राज्य हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि द्वारा अवगत कराया की आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से तंबाकू के दुष्प्रभावों के प्रचार-प्रसार व समुदाय में तंबाकू से जोखिम के आंकलन की रणनीति द्वारा तंबाकू उपयोग पर नियंत्रण करने का प्रयास किया गया. इसी प्रकार ऑनलाईन माध्यम से इस कार्यशाला में उपस्थित पंजाब और आसाम के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने अनुभव और रणनीतियों को साझा किया.

कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा समूह चर्चा के माध्यम से समुदाय को तंबाकू और तंबाकू उत्पादों के उपयोग और उपभोग के लिए हतोत्साहित करने और इसके हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए विभिन्न विभागों जैसे पुलिस, शिक्षा, नगरीय निकाय, स्वास्थ्य, सामाजिक संस्थाओं, मीडिया, उच्च शिक्षा आदि की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. प्रतिनिधियों के द्वारा साझा किए गए अनुभवों के अनुसार तम्बाकू के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए प्रवर्तन कार्य को गति प्रदान किया जाना, तंबाकू नियंत्रण के विषय से संबंधित कानूनों और दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन कराया जाना और सभी विभागों सहित सामाजिक संगठनों के मध्य उचित समन्वय स्थापित कर कार्य किया जाना आवश्यक है.