सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों जेनेरिक दवाईयों को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं, ताकि मरीजों को परेशानियों का सामना न करना पड़े, लेकिन डॉक्टर्स की मनमानी जारी है. रेडक्रॉस और धन्वंतरी मेडिकल स्टोर में सस्ती दवाईयां मिलती हैं, लेकिन डॉक्टर्स महंगी दवाओं के लिए बाहर भेज रहे हैं, जिससे मरीजों की जेबें ढीली हो रही है.

दरअसल, एक ओर सरकार का प्रयास है कि हर ग़रीब को इलाज मिले, कम रेट में दवा मिले, ताकि बीमारी से किसी भी व्यक्ति की मौत न हो. इसके लिए सरकार राज्य भर में धनवंतरी जेनरिक मेडिकल स्टोर, रेड क्रॉस संचालित कर रही है. जहां 60-75 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टर अब भी पर्ची में ब्रांडेड दवाओं की फेर में फंसे हुए हैं.

CM बघेल के निर्देश के बाद भी जेनेरिक दवा न लिखकर ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं. जहां तक ये भी बता दिया जा रहा है कौन से प्राइवेट मेडिकल स्टोर में ये दवा मिलेगी, इस तरह सरकार की योजना को ही सरकार के लोग ठेंगा दिखा रहे हैं.

CM भूपेश बघेल ने जेनरिक दवाएं नहीं लिखने पर कार्रवाई करने की दिशा निर्देश दिए हैं. इस दिशा निर्देश को लेकर LALLURAM.COM की टीम ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल का पड़ताल किया, जिसमें ये तथ्य निकलकर सामने आए हैं.

बलौदा बाज़ार निवासी भानू सिंह बंजारे ने बताया कि वो 7 अप्रैल से मेकाहारा का चक्कर लगा रहा है. जो दवा लिखी गई है वो ना तो रेडक्रॉस में मिल रही है न ही धनवंतरी मेडिकल स्टोर में. दवा क्यों नहीं मिल रही है, इसकी जानकारी लेने पर पता चला कि ये दवा ब्रांडेड है.

इसे बाहर के मेडिकल से लेने के लिए मरीज़ को कहा गया था, लेकिन जो दवा का मूल्य है वो मरीज़ के पास उतनी राशि नहीं है. इसलिए वो उस उम्मीद में 7 अप्रैल से अब तक इंतज़ार कर रहा है और रेडक्रॉस और धनवंतरी मेडिकल स्टोर का चक्कर लगा रहा है. यह दवा कहीं वहीं से मिल जाए.

वहीं हमारी टीम ने धनवंतरी मेडिकल स्टोर के फार्मासिस्टों से बातचीत की. उनका स्पष्ट कहना है कि मेकाहारा से लगभग 300 पर्चियां दिन में आती हैं, जिसमें से फिफ्टी पर्सेंट से ज़्यादा ब्रांडेड दवा लिखी होती है. यहां ब्रांडेड दावा नहीं मिलती.

फिर हम रेडक्रॉस पहुंचे. वहां मरीज़ों से बातचीत की. मुंगेली से पहुंची सरस्वती साहू ने बताया कि वो पिछले दो दिनों से दवा के लिए चक्कर लगा रही है, लेकिन उनको कहीं दवा नहीं मिल रही है वो अपने पिता का इलाज कराने के लिए आयी है उन्हें पर्ची के साथ एक अलग से काग़ज़ में लिखकर दिया गया है और कहा गया है कि लक्ष्मी मेडिकल से उस दवा को लेकर आए लेकिन पैसे की कमी के कारण वो चक्कर लगाते हुए भटक रही है.

गोपाल कर चौधरी ने बताया कि कई दिनों से चक्कर लगा रहा हूं, जो दवाई लिखी है वो जेनरिक धनवंतरी मेडिकल में नहीं मिल रही है ना ही रेडक्रॉस में. मुझे बाहर से लाने के लिए कहा गया है. जब बाहर के मेडिकल में पूछने का तो 1 एक दवा की क़ीमत एक हज़ार से ज़्यादा है. इसलिए मैं बाहर से दवा नहीं ख़रीद पाया हूं. डॉक्टरों को जाकर बोलने पर कहते हैं कि बाहर से ख़रीद लाओ हॉस्पिटल से एक दो दवा देते हैं, उसके बाद भटकते रहो.

वहीं डॉक्टर भीमराव हॉस्पिटल में संचालित रेडक्रॉस मेडिकल स्टोर में हमारी टीम पहुंची. वहां मौजूद फार्मासिस्ट मनीष ने कहा कि डॉक्टर ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं इसलिए हम नहीं देते उसके बाद उन्होंने अपने इंचार्ज का हवाला देते हुए कहा कि हमें मना किया गया. कुछ भी जानकारी देने के लिए अगर हम से कुछ पूछना है तो हमारे ज़िम्मेदार अधिकारियों से लिखित में परमिशन ले लो फिर बताएंगे.

वहीं इस मुद्दे को लेकर डॉक्टर भीम राव अंबेडकर हॉस्पिटल के अधीक्षक एस बी एस नेताम ने कहा कि जो पर्ची आप दिखा रहे हैं, ये सभी हमारे हॉस्पिटल के हैं. इसमें ब्रांडेड दवा तो लिखी है पहले से आदेश जारी हो चुका है. कोई भी डॉक्टर ब्रांडेड दवा नहीं लिखेगा पता करवाते हैं, जिनके भी OPD से यह पर्ची दी गई है, उनको नोटिस जारी किया जाएगा.

बहरहाल, इन सभी पर्चियों से लग रहा है कि कहीं कमीशन का खेल तो नहीं खेला जा रहा है, जिससे 300 पर्चियों में 50 में ब्रांडेड दवाईयां लिखी जा रही है.

जगदलपुर शहर में भी मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना यहां के सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है, मुख्यमंत्री के सख्त आदेश के बावजूद भी सरकारी अस्पतालों के ओपीडी विभाग में डॉक्टरों के द्वारा पर्ची में दवाइयों के नाम लिखे जा रहे हैं जिसके चलते मरीजों को बाहर से महंगे दामों में इन दवाइयों को लेना पड़ रहा है, ये हाल जिले के महारानी अस्पताल और डिमरापाल अस्पताल दोनों का है.

मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों के द्वारा फार्मूला नहीं लिखे जा रहे हैं, जिसके चलते अस्पतालों से उन्हें नि:शुल्क दवाइयां नहीं मिल पा रही है. बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. खासकर ग्रामीण अंचल से इलाज के लिए पहुंच रहे हैं मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

सीएम भूपेश बघेल ने सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाईयों की बजाय ब्रांडेड दवाई लिखने पर कड़ी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है जो सरकारी डॉक्टर ब्रांडेड दवाईयां लिखते हैं उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए, लेकिन बिलासपुर में सीएम के निर्देश का असर होता नहीं दिख रहा है. सरकारी अस्पताल अब भी अपने मनमानी पर उतारू हैं और मरीजों को जेनेरिक के जगह ब्रांडेड दवाई लिख रहे हैं.

सरकारी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं का बुरा हाल है, डॉक्टर्स अब भी जेनेरिक दवा लिखने से परहेज कर रहे हैं, ऐसे में अब देखना ये होगा, कि सीएम के निर्देश के बाद ऐसे डॉक्टर्स पर कैसे लगाम कसी जाती है.