रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप छत्तीसगढ़ में 3 से 6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए बालवाड़ी योजना क्रियान्वयन के लिए दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला की शुरुआत हो गई है. स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में इसका शुभारंभ किया. कार्यशाला में देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने शिरकत की.
मंत्री ने ‘मोर बालवाड़ी’ पर केंद्रीत कार्यशाला में कहा कि जिन स्कूलों के परिसर में पहले से ही आंगनबाड़ी संचालित है, वहां ये बालवाड़ी संचालित की जाएगी. छत्तीसगढ़ शासन ने आगामी शिक्षा सत्र से प्रदेश में 6 हजार 536 बालवाड़ी केन्द्रों के संचालन का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि मोर बालवाड़ी कार्यक्रम को सभी के सुझाव और तालमेल से बेहतर ढंग से लागू किया जा सकता है.
इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए बेहतर पाठ्यक्रम, क्षमता विकास और पालकों की सहभागिता महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मोर बालवाड़ी कार्यशाला बच्चों के शैक्षिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी. बालवाड़ी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए तैयार करने के साथ ही बच्चों को बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल के लिए आधार भी प्रदान करेगी.
कार्यशाला में बालवाड़ी के संचालन के लिए पाठ्य चर्चा की रूपरेखा, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षकों के क्षमता विकास के लिए आवश्यक सुझाव मिलेगा. जो बालवाड़ी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
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शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने पर जोर
संचालक एससीईआरटी राजेश सिंह राणा ने कार्यशाला में मोर बालवाड़ी के संबंध में जानकारी दी. अतिरिक्त संचालक एससीईआरटी डॉ. योगेश शिवहरे ने प्रारंभिक बाल्य अवस्था देखभाल और शिक्षा के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया. यूनिसेफ के छत्तीसगढ़ राज्य प्रमुख जॉब जकारिया ने शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने का विशेष जोर दिया.
उन्होंने मोर बालवाड़ी के लिए एससीईआरटी द्वारा पाठ्यचर्या विस्तृत रूप से तैयार किया गया है. उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए की गई पहल का स्वागत करते हुए कहा कि कार्यक्रम को सुदृढ़ बनाने के लिए सभी को साथ मिलकर काम करना होगा.
आधारभूत कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता- विनिता कौल
कार्यक्रम में अम्बेडकर विश्वविद्यालय नई दिल्ली की सेवानिवृत्त प्राध्यापक विनिता कौल ने कार्यशाला में वर्चुअल रूप से शामिल होकर कहा कि 5 से 6, 6 से 7 और 7 से 8 आयु वर्ग के बच्चों के आधारभूत कौशल को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरुरत है. हर शिक्षक को हेण्डबुक बनाना चाहिए और शिक्षकों को निरंतर प्रशिक्षित होते रहना होगा. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पाठ्यक्रम गतिविधि पुस्तिका और शिक्षक संदर्शिका तैयार कर लिया गया है.
पालक-शिक्षक समन्वय की जरुरत– मिताक्षरा
राज्य योजना आयोग की शिक्षा सलाहकार मिताक्षरा कुमारी ने कहा कि बालवाड़ी के बच्चों को महिला शिक्षा की अध्यापन कराएं. बालवाड़ी कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए ज्यादा से ज्यादा क्रियाकलाप आधारित, पालक-शिक्षक समन्वय की जरुरत है. एनसीईआरटी की प्रोफेसर सुनीता फरकिया ने बालवाड़ी संचालन के लिए सुझाव दिए.
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