रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के सरगुजा और बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरणों के कार्यक्षेत्र में सौर सुजला योजना के तहत किसानों के खेतों में सोलर सिंचाई पम्पों की स्थापना के कार्यों में और भी ज्यादा तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आज सरगुजा और उत्तर क्षेत्र तथा बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरणों की अलग-अलग बैठकों में विभिन्न योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की। विधानसभा के नवीन समिति कक्ष में आयोजित दोनों बैठकों में सदस्यों ने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के 27 समुदायों के जातिगत नामों के उच्चारण विभेदों को मान्य करने और जाति प्रमाण पत्र जारी करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनका अभिनंदन किया। डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया।
बैठक में बताया गया कि लगभग डेढ़ साल पहले (नवम्बर 2016) से राज्य शासन द्वारा शुरू की गई सौर सुजला योजना के तहत दोनों प्राधिकरणों के 22 जिलों में अब तक 19 हजार 025 सोलर पम्प स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से अब तक ग्यारह हजार 705 किसानों के खेतों में सोलर सिंचाई पम्प लगाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शेष मंजूरशुदा प्रकरणों में भी पम्प स्थापना का कार्य तेजी से किया जाएगा। सौर ऊर्जा से चलने वाले ये सिंचाई पम्प नाम मात्र कीमत पर किसानों को दिए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने पहले बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ली। इसमें संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के सहयोग से बनने वाले 200 बिस्तरों के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल निर्माण के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गई। डॉ. रमन सिंह ने बस्तर संभाग के कमिश्नर और अन्य संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे इस संबंध में एनएमडीसी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक से बातचीत करें। डॉ. सिंह ने बस्तर प्राधिकरण की बैठक में अगले माह मार्च तक 150 देवगुड़ी निर्माण के लिए डेढ़ करोड़ रूपए तत्काल मंजूर कर दिए और संबंधित अधिकारियों से कहा कि यह राशि दस मार्च तक जारी कर दी जाए। प्रत्येक देवगुड़ी के लिए एक लाख रूपए मंजूर किए गए। अधिकारियों ने बताया कि बस्तर प्राधिकरण के कार्य क्षेत्र के 12 जिलों में आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और विकास के लिए वर्ष 2017-18 में 218 देवगुड़ी निर्माण का लक्ष्य है। इसके लिए एक-एक लाख रूपए के मान से दो करोड़ 18 लाख रूपए की धनराशि आवंटित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने आज की बैठक में 150 और देवगुड़ी निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी।
दोनों प्राधिकरणों की राशि से आदिम जाति विकास विभाग द्वारा संचालित शहीद वीरनारायण सिंह स्वावलंबन योजना के तहत आदिवासी युवाओं को स्व-रोजगार स्थापना के लिए दी जा रही वित्तीय सहायता की भी आज की बैठकों में समीक्षा की गई। इस योजना के तहत चयनित युवाओं को व्यवसाय प्रारंभ करने और दुकान निर्माण के लिए सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दोनों प्राधिकरणों के जिलों में योजना के तहत स्वीकृत प्रकरणों और निर्मित दुकानों तथा व्यवसाय शुरू कर चुके हितग्राहियों का भौतिक सत्यापन करवाने के भी निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि बस्तर प्राधिकरण द्वारा चालू वित्तीय वर्ष को मिलाकर विगत तीन वित्तीय वर्षों में शहीद वीर नारायण सिंह स्वाललंबन योजना के तहत 600 हितग्राहियों के लिए दस करोड़ 62 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं। वर्ष 2015-16 में 300 हितग्राहियों के लिए चार करोड़ 56 लाख रूपए, वर्ष 2016-17 में 250 हितग्राहियों के लिए पांच करोड़ 05 लाख रूपए और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में 50 हितग्राहियों के लिए एक करोड़ 01 लाख रूपए की धनराशि मंजूर की गई है।योजना के तहत उनके लिए दुकानों का निर्माण भी किया जा रहा है। अब तक स्वीकृत 600 प्रकरणों में लगभग 200 युवाओं ने स्वयं का व्यवसाय भी शुरू कर दिया है। सरगुजा और उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत शहीद वीरनारायण सिंह स्वावलंबन योजना में वर्ष 2016-17 और वर्ष 2017-18 में 300 हितग्राहियों के लिए छह करोड़ 05 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं। इनमें से 244 हितग्राहियों की दुकानों का निर्माण प्रगति पर है। इसके पहले के तीन वित्तीय वर्षों में वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक शहीद वीर नारायण सिंह स्वावलंबन योजना में 800 युवाओं के लिए 12 करोड़ 16 लाख रूपए मंजूर किए गए थे। इनमें से 669 युवाओं ने स्वयं का व्यवसाय शुरू कर दिया है। दोनों प्राधिकरणों के जिलों में किसानों के असाध्य सिंचाई पम्पों को बिजली का कनेक्शन देने के लिए चल रहे कार्यों की समीक्षा भी आज की बैठकों में की गई।