रायपुर. व्यक्ति की सफलता को निर्धारित करने वाली सबसे महत्वपूर्ण, मूल और निर्णायक कारक उसकी एकाग्रता शक्ति होती है. एकाग्रता न सिर्फ छात्रों के लिए बल्कि हर उम्र एवं सभी क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगो के लिए जरूरी है. छात्रों के सीखने योग्य एक अति महत्त्वपूर्ण कौशल है, एकाग्रता शक्ति. क्योंकि यह ध्यान केन्द्रित करने, विचलता दूर करने और क्षणिक आवेगों जो कि सामान्य ध्यान और फोकस करने की क्षमता में बाधा हैं उसे दूर करने की योग्यता प्रदान करती है.

एकाग्रता में कमी एक आम समस्या है. कार्य में रूचि का न होना कमजोर एकाग्रता का एक बड़ा कारण है. यदि आप कुछ ऐसा पढ़ रहे हैं जिसे आप वाकई चाहते है, तो समान्यतया आपका ध्यान उसमें लगता है. मगर, यदि आप कुछ ऐसा पढ़ रहे हैं जो आपको बेकार और उबाऊ लगता है तो आपको आमतौर पर इसपर एकाग्र करना मुश्किल लगेगा.

  • वास्तु शास्त्र में पूर्व व उत्तर दिशाएं काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, क्योंकि सूर्योदय पूर्व से होता है और लाभकारी चुंबकीय तरंगों का आगमन उत्तर से होता है. विद्य‍ार्थियों के लिए पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके अध्ययन करना लाभकारी रहता है.
  • बच्चों के पढ़ाई का कमरा घर के पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए तथा यह ध्यान रखना चाहिए कि उसमें कोई खंभा न हो.
  • स्टडी टेबल पर या सामने के दर्पण आदि लगाने से बचना चाहिए. टेबल पर जरूरी सामान ही रखें.
  • पुस्तकें, कॉपियां आदि कमरे के दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम ओर में रखना चाहिए और उन्हें रखने की अलमारी के शेल्‍फ खुले नहीं होना चाहिए. यह एकाग्रता में कमी लाता है.
  • अध्ययन के वक्त मुख को पश्चिम व उत्तर दिशा की ओर भी रखा जा सकता है, मगर इन दिशाओं में अध्ययन का फल अच्‍छा नहीं मिलता.
  • अध्ययन के वक्त‍ दक्षिण की ओर मुख करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे उनमें अग्नि तत्व की प्रधानता हो जाती है जिससे वह उद्दंड व अनुशासनहीन हो सकता है.