सत्यपाल राजपूत, रायपुर। साहब, हम जिंदा हैं, इन शब्दों को कहते हुए राजधानी के करीब 20 लोग खुद के जिंदा होने की गवाही दे रहे हैं. सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक अपने आप को जिंदा साबित नहीं कर सके हैं. सरकारी कागजों में मृत घोषित हो चुके लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. LALLURAM.COM से इन लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई, जो किसी को भी सकते में डाल रहा है.

दपअसल, ना ये तो भूत प्रेत की कहानी है ना ही, ना ही कोई किवदंति, ये असल में सच है, इस सच की पुष्टि मरे हुए व्यक्ति अपने सरकारी दस्तावेज़ लेकर स्वयं कर रहे हैं. हैरान कर देने वाली बात यह है कि ये मरे हुए व्यक्ति हमारी तरह ही खाते-पीते हैं उठते -बैठते हैं, बोलते बताते हैं. इतना ही नहीं हम स्वयं उनसे बात कर रहे हैं. मौत की बातें सुनकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कार्य पर सवाल उठाते हुए को कोस रहे हैं.

दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट ने हज़ारों बच्चों को अनाथ किया ही नहीं बल्कि हज़ारों परिवार के लोग अपने परिजनों को खो दिए थे, लेकिन जिनका कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ पाया उसको सिस्टम ने मार डाला है. हैरान करने वाली बात ये है कि जो व्यक्ति कोरोना हॉस्पिटल या सेंटर में भर्ती ही नहीं हुआ, वहां उसकी मौत कैसे हो सकती है.

मैं ज़िंदा हूं साहब, मेरा नाम कुमारी बाई राजपूत है, आपके बनाए हुए सरकारी दस्तावेज़ में मेरे पास राशन कार्ड है और आधार कार्ड भी. मेरे को कोरोना हुआ था, मुझे उम्र के आधार पर माना स्थित कोविड सेंटर में भर्ती किया गया था, मुझे कोई सिम्टम्स नहीं थे.

छः से सात दिन में मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया था, लेकिन मुझे 04- 13-2021 को मृत घोषित कर दिया गया है, वो भी उस कोविड हॉस्पिटल में जहां मै कभी गई ही नहीं, इंडोर स्टेडियम हॉस्पिटल के डेथ लिस्ट में मेरा नाम है, इस पर जांच होनी चाहिए कार्रवाई भी..

LALLURAM.COM की टीम ने कोरोना देथ लिस्ट का पन्ना पलटाया, दस्तावेज खंगालने वक्त हमारी बात हुई निलकंठ सिन्हा से, तब सिन्हा ने कहा मैं ज़िंदा हूं, मैं इंडोर स्टेडियम कोविड हॉस्पिटल में भर्ती नहीं हुआ हूं, मैं ज़रूर कोविड टेस्ट कराया था, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई थी, मैं आश्चर्यचकित हूं की मेरा नाम नंबर यहां कैसे पहुंचा. यह जांच का विषय है, साथ ही अपने परिवार के लोगों से मुलाक़ात कराते हुए तमाम सरकारी दस्तावेज़ भी दिखाए.

स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेज़ को खंगालते हुए हमारी टीम राजधानी से 40 किलोमीटर दूर अभनपुर के टोकरो गांव पहुंची. मरने वाले को बचाने में नाकाम विभाग अब ज़िंदा व्यक्ति को मार रहे हैं ये हम नही कह रहे, ये बात स्वास्थ्य विभाग के लिस्ट में मृतक उतरा पाल एवं उनके परिजनों ने कही है, तो वहीं कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि पहले तो हमारा नाम मृतक लिस्ट से हटाया जाए, ताकि जो शासन की योजना है, उसका लाभ मिल सके और हमको कोई नुक़सान न हो.

इस मुद्दों को लेकर हमारी टीम स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एवं विभागीय अधिकारियों के पास पहुंची. स्वास्थ्य ने कहा कि मामला गंभीर है, आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है जांच कराने पर ही सत्यता सामने आएगी. उसके बाद तत्काल स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को जाँच करने के निर्देश दिए.

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मीरा बघेल ने कहा कि आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है. जांच कराने के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या मामला है और कहां से गड़बड़ी हुई है. गड़बड़ी हुई है तो गड़बड़ी करने वाले पर कार्रवाई ज़रूर होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि जो कोविड सेंटर या हॉस्पिटल से यहां लिस्ट दिया जाता है, उसको ही अपडेट किया जाता है.

मंत्री और अधिकारियों ने जांच का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिए, लेकिन सवाल अब भी यह उठता है कि आखिरकार जीवित व्यक्ति को मृतक क्यों घोषित किया गया ? क्या 50,000 मुआवज़ा राशि के लिए जीवित व्यक्तियों को मार दिया जा रहा है ? या फिर ज़्यादा मौत दिखाने के लिए खेल खेला गया है. प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक़ 14 हज़ार से ज़्यादा कोरोना संक्रमित लोगों की मौत हुई है क्या इसकी जाँच की जाएगी ?