रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहली बार हसदेव अरण्य क्षेत्र में तीन कोयला खदान केते बासन एक्सटेंशन, परसा और गारे पेलमा को फॉरेस्ट क्लीयरेंस देने के बाद शुरु खड़े हुए सवालों पर खुलकर अपनी बात रखी. एक निजी चैनल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एमडीओ के ज़रिए कोयला खदानों को देने के पीछे चल रहे खेल की ओर इशारा किया और कई सवाल उठाए हैं, जो आदिवासियों और कोल उत्पादक राज्यों के हितों से जुड़े हुए हैं.
कार्यक्रम में जब भूपेश बघेल से पूछा गया कि हसदेव अरंड क्षेत्र में 874 हैक्टेयर में पेड़ काटे जा रहे हैं, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. इसका असर जलवायु परिवर्तन में भी पड़ेगा. इस पर भूपेश बघेल ने कोयला खदान एमडीओ के जरिए देने का जिक्र किया और मौजूदा कोल आवंटन में बड़े खेल होने की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि इतना बड़ा खेल हो रहा है, जिसके बारे में कोई मीडिया हाउस चर्चा नहीं कर रहा है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा – ”ऑक्शन (नीलामी) में कोई कोयला नहीं खरीद रहा है. तो ये राज्यों को आवंटित करा रहे हैं. वहां से एमडीओ के ज़रिए…ये नया आ गया है. आप लोग देखिए ! एमडीओ किसको जा रहा है क्यों जा रहा है ?”
बघेल ने पूछा कि राज्य के 44 फीसदी भूभाग पर जंगल है जो 16 फीसदी ऑक्सीजन पूरे देश को देता है, लेकिन आप हमें क्या देते हैं. आदिवासियों को क्या मिलता है जिन्होंने इसे बचाकर रखे हुए हैं.
बघेल ने इस मसले पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि कांग्रेस कोयले के मामले में धराशाई हो गई. लेकिन आज राज्यों को बड़ा नुकसान हो रहा है. उन्होने कहा कि अगर ऑक्शन होता है तो राज्यों को 3100 प्रीमियम रॉयल्टी मिलती है. लेकिन ऑक्शन में कोयला कोई नहीं ले रहा है. बल्कि राज्यों को आवंटित कराया जा रहा है. राज्यों को आवंटित कराने में केवल 100 रुपये की रॉयल्टी मिल जाती है. उन्होंने कहा कि इससे छत्तीसगढ़ को करीब 30 साल में 9 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. राज्यों को हर टन 3100 रुपये का नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्यों को कोल आवंटित करने की सूरत में ये कहा गया था कि हर तीन साल में रॉयल्टी बढ़ाई जाएगी. लेकिन ये आखिरी बार 2014 में बढ़ा. उन्होंने कहा कि इससे राज्य को नुकसान हो रहा है. उन्होंने रॉयल्टी बढ़ाने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कोयला मंत्री से भी की है. उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कोयला देश को चाहिए. इसे उतना ही खोदें जितनी ज़रुरत हो. भूपेश बघेल ने कहा कि कोयले की पूर्ति नहीं हो रही है, जिससे औद्योगिक क्षेत्र आने वाले समय में प्रभावित होगा.