गरियाबंद. कृषि विज्ञान केंद्र में मंगलवार को आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में किसान मेले का आयोजन किया गया, जिसमें जिलेभर से पहुंचे किसानों को फसल परिवर्तन कर सरकारी योजनाओं से जुड़ने प्रेरित किया गया. वहीं अफसर ने कहा कि बढ़ती महंगाई में धान के अलावा दलहन तिलहन के विकल्प को भी अपनाना होगा.
किसान मेले की मुख्य अतिथि कलेक्टर नम्रता गांधी थीं. कलेक्टर ने किसानों से रूबरू होने के बाद उन्हें संबोधित करते हुए फसल परिवर्तन को अपनाने की अपील की। उन्होंने इसके नफा नुकसान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विगत कुछ वर्षोंं में किसान परम्परागत खेती से विमुख होते जा रहे हैं. दलहन तिलहन कोदो कुटकी जैसे अन्य अनाज के उत्पादन को किनारे कर रहे हैं. दलहन तिलहन जैसे जरूरी अनाज के उत्पादन कम होने का सीधा असर महंगाई के रूप में झेलना पड़ रहा है. कार्यक्रम की विशेष अतिथि सीईओ रोक्तिमा यादव व अन्य अफसरों ने भी फसल परिवर्तन के लिए प्रेरित किया.
उत्कृष्ट किसानों का किया गया सम्मान
फसल चक्र परिवर्तन को अपनाने वाले उत्कृष्ट किसानों को जिला प्रशासन ने सम्मानित भी किया। मेले में सहायक संचालक उद्यान मिथलेश देवांगन, सहायक संचालक मत्स्य मधु खाखा, पशु चिकित्सा अधिकारी सुधीर पंचभाइ, कृषि विज्ञान केंद्र से डाॅ. ईश्वर सिंह, तुषार मिश्रा, कृषि महाविद्यालय फिंगेश्वर के अधिष्ठाता डाॅ. नरेंद्र लाखपाले तथा अन्य विभागीय अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे.
फसल परिवर्तन के सरकारी फायदे भी गिनाए
कलेक्टर नम्रता गांधी व कृषि विभाग उपसंचालक संदीप भोई ने फसल परिवर्तन के सरकारी फायदे भी गिनाए. बताया गया कि इसे अपनाने वाले किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना के तहत प्रति एकड़ 10 हजार रुपए सरकार प्रोत्साहन राशि देगी. पशु, मत्स्य, उद्यानिकी विभाग के लाभकारी योजनाओं में परिवर्तन की राह पर चलने वाले किसान को प्राथमिकता दी जाएगी. केसीसी लोन हो या फिर अन्य सरकारी योजनाएं सभी में फसल परिवर्तन करने वाले किसानों को प्राथमिकता में रखकर लाभान्वित किया जाएगा.
कृषि वैज्ञानिकों ने जैविक खाद बनाने के तरीके बताए
मेले में किसान वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन हुआ. कृषि विशेषज्ञों ने फसल व कृषि संबंधी समस्याओं का भी निराकरण किया. आगामी खरीफ फसल की तैयारी में जुटे किसानों ने वैज्ञानिकों से सीधे सवांद कर अपनी समस्याओं को बताकर उसके समाधान के उपाय भी पूछे. रासायनिक खाद गैर अनुपातिक इस्तेमाल से किस तरह से जमीन दुष्प्रभावित हो रहा है उस पर किसानो का ध्यान आकृष कराया गया. फसलों को बीमारी से बचाने जैविक खाद, जीवा अमृत बीजा अमृत जैसे दवा तैयार करने व उसके इस्तेमाल के तरीके बताए. वैज्ञानिको ने भी फसल परिवर्तन की सलाह किसानों को दी.