रायपुर. शनि को न्याय का कारक व न्यायाधीश माना गया है. शनिदेव हमारे कर्मों के मुताबिक हमें इसी जन्म में फल देते हैं. माना तो ये भी जाता है कि शनि जिस स्थान पर होते हैं वो पूर्व जन्म के शुभाशुभ फल को भोगने के लिए होते हैं. शनिदेव जिस पर मेहरबान होते हैं, उसे रंक से राजा बना देते हैं और जिस पर उनकी कुपित दृष्टि पड़ती है, उसे राजा से रक भी बना देते हैं यानि उसकी मुसीबतें बढ़ा देते हैं. शनि अपनी महादशा और साढ़ेसाती के दौरान ज्यादा ताकतवर होकर अपना प्रभाव दिखाते हैं. शनि से पूर्व राहु एवं गुरू की दशा होती है. अतः राहु की दशा में किए गए न्याय अथवा अन्याय एवं गुरू की दशा तक आते हुए जो भी लाभ या हानि के अनुसार ही शनि अपना असर दिखाते हैं. जिनकी कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होते हैं, उनको शिक्षा, करियर, बिजनेस, स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

हर किसी के जीवन में शनि की दशा एवं अंतरदशा तथा साढ़ेसाती हर 30 साल में जरूर आती ही है. यानी अपने जीवन काल में कोई भी व्यक्ति शनि की दशा एवं साढ़ेसाती से बच नहीं सकता. शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक गतिशील रहते हैं. इस साल 2022 में शनि अपनी राशि मकर से परिवर्तन कर करीब ढाई वर्षों बाद 29 अप्रैल 2022 को शनि का कुंभ में प्रवेश सुबह 07 बजकर 42 में स्वराशि कुंभ में प्रवेश कर रहे हैं. अगले दिन शनैश्चरी अमावस्या पर ये महीना खत्म हो रहा है. शनिदेव धीमी गति से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं. एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में इन्हें करीब ढाई साल का समय लगता है. शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं.

शनि 29 अप्रैल दिन शुक्रवार को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे. शनि कुंभ राशि में 30 साल बाद प्रवेश करने जा रहे हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि को कर्म ग्रह माना जाता है. यह अच्छे कर्म करने वालों पर सकारात्मक परिणाम देते हैं और बुरे कर्म करने वालों पर नकारात्मक प्रभाव देते हैं. इस शनि के परिवर्तन के साथ ही शनि के स्वंय की राशि कुंभ में प्रवेश से धनु राशि पर चल रही शनि की साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी. वहीं मिथुन और तुला राशि वालों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी. लेकिन शनिदेव दोबारा से कुछ समय के लिए 12 जुलाई 2022 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिसके कारण से मिथुन, तुला और धनु राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव फिर से आ जाएगी. शनि यहां पर 17 जुलाई 2023 तक रहेंगे. ऐसे में मिथुन, तुला और धनु राशि से शनि की दशा पूरी तरह से साल 2023 में ही खत्म होगी.

29 अप्रैल 2022 को मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करें वैसे ही मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. वहीं कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या आरंभ हो जाएगी. मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण होगा जबकि मकर राशि वालों पर आखिरी और कुंभ राशि वालों पर दूसरा चरण होगा.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती के तीनों चरणों में दूसरा चरण शिखर का चरण कहलाता है ऐसे में कुंभ राशि के जातकों के लिए ज्यादा कष्टकारी रहेगा. पहले चरण को उदय चरण कहते हैं इसमें व्यक्ति को मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तीसरे चरण में शनि का प्रभाव कम होने लगता है इसे अस्त चरण कहा जाता है.

शनि के राशि परिवर्तन और वक्री होने की तिथि

29 अप्रैल 2022 सुबह 07 बजकर 42 में शनि मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.
12 जुलाई 2022 में वक्री हो जायेंगे.
वक्री अवस्था में शनि एक बार फिर से मकर राशि में गोचर करेंगे.
17 जनवरी 2023 में शनि मार्गी होकर कुंभ राशि में वापस आ जायेंगे.
फिर 29 मार्च 2025 में शनि मीन राशि में प्रवेश कर जायेंगे.

30 साल बाद शनि का कुंभ राशि में गोचर सभी राशियों पर प्रभाव डालेगा. आइए जानते हैं कुंभ राशि में आ रहे हैं शनि किन राशियों के भाग्य के सितारे दमकायेंगे और किस राशि वालो के लिए बनेंगे दंडाधिकारी जानते हैं आपकी राशि क्या है और आपके लिए कैसा रहेगा शनि का कुंभ राशि में प्रवेश इसके अलावा सामान्य तौर पर शनि के क्या करें उपाय और कैसे बने रहे शनि के कृपा पात्र, जानते हैं.

शनि दोष से मुक्ति पाने का उपाय

शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनि देव की पूजा करें. शनिवार के दिन शनिदेव को आक का फूल और सरसों का तेल अर्पित करें. शनि चालीसा और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं.