रुद्रप्रयाग. आगामी तीन मई से चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है. जिसके लिए उत्तराखंड शासन ने श्रद्धालुओं की संख्या तय कर दी है. इसके आदेश शनिवार देर शाम जारी कर दिए गए हैं. चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या तय की गई है. आदेश के मुताबिक, बदरीनाथ धाम में प्रतिदिन 15 हजार, केदारनाथ धाम में 12 हजार, गंगोत्री धाम में सात हजार और यमुनोत्री धाम में चार हजार तीर्थयात्री ही दर्शन कर सकेंगे.

 केदारनाथ धाम के लिए छह मई से हेली सेवा शुरू हो जाएगी. इसी दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं. डीजीसीए की टीम आगामी तीन मई को सभी हेलीपैड का निरीक्षण कर जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर उड़ान की अनुमति देगी. इस यात्रा सीजन में नौ हवाई कंपनियां केदारनाथ के लिए उड़ान भरेंगी.

केदारनाथ के लिए 20 मई तक सभी हेली टिकटों की बुकिंग हो चुकी है. करीब 15 हजार टिकट बुक है. तीन मई को डीजीसीए की टीम दिल्ली से केदारनाथ धाम व केदारघाटी पहुंचेगी और यहां विभिन्न हेलीपैड का निरीक्षण कर जरूरी औपचारिकताओं की जांच के बाद हवाई कंपनियों को उड़ान भरने की अनुमति देगी.

केदारनाथ के लिए फाटा, नारायणकोटी, सेरसी, सोनप्रयाग, जाखधार हेलीपैड से उड़ानें संचालित होंगी. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि छह मई को सुबह से ही केदारनाथ के लिए हवाई सेवा शुरू हो जाएगी. केदारनाथ के लिए उड़ान भरने वाली हेली कंपनियां आर्यन एविएशन, पवन हंस, एरो एयर क्राफ्ट, चिपसन ऐविएशन, थंबी एविएशन पिनाक्ल एयर क्राफ्ट, हिमालयन हेली, क्रिस्टल ऐविएशन हैं.

हेली किराया : गुप्तकाशी से 7750 रुपये, फाटा से 4720 रुपये, सेरसी से 4680 रुपये तय किया गया है.

 वहीं, 70 वर्ष पूर्व बंद हुई केदारनाथ धाम की तेल कलश यात्रा को इस बार केदारनाथ पंच पंडा समिति रुद्रपुर पुनर्जीवित करने जा रही है. अखंड ज्योति के लिए सांकरी गांव में तेल एकत्रित किया गया है. तेल कलश यात्रा एक मई से केदारघाटी के ग्राम सांकरी से रुद्रपुर पहुंचेगी और फिर केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी. केदारनाथ पंच पंडा समिति रुद्रपुर के अध्यक्ष तीर्थ पुरोहित अमित शुक्ला ने बताया कि केदारनाथ मंदिर में अखंड ज्योति के लिए तेल कलश यात्रा की परंपरा वर्ष 1952 में बंद हो गई थी. अब इसे पुनर्जीवित किया जा रहा है. तेल कलश यात्रा एक मई को केदारघाटी के ग्राम सांकरी से भुकुंड भैरव के शीतकालीन गद्दी स्थल रुद्रपुर पहुंचेगी.