राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। एमपी पंचायत चुनाव (MP Panchayat elections) को लेकर बड़ी खबर आई है. सूत्र बताते हैं कि मप्र में पंचायत चुनाव की तस्वीर 15 मई तक साफ हो सकती है. राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. चुनाव आयोग पहले पंचायत फिर नगरीय निकाय चुनाव कराने के मूड में है.
राज्य निर्वाचन आयोग को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. सुप्रीम कोर्ट ओबीसी आरक्षण मामले की 10 मई को फैसला सुनाएगा. कोर्ट से हरी झंडी मिली, तो जून में पंचायत चुनाव हो सकते हैं. 10 मई को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा. पंचायतों के साथ नगरीय निकायों की मतदाता सूची का प्रकाशन होगा. फिलहाल चुनाव में ओबीसी आरक्षण का पेंच फंसा है.
सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया था, जिसने मतदाता सूची का परीक्षण कराने के बाद दावा किया कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता ओबीसी हैं. इस आधार पर रिपोर्ट में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की अनुशंसा करते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी. इसे शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया. सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया. जिसे 10 मई को सुनाया जाएगा.
बता दें कि 2019 में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में जिले से लेकर ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन किया था और करीब 1200 नई पंचायतें बनाई थी. इस दौरान 102 ग्राम पंचायतों को खत्म कर दिया गया था और 1950 की सीमा में बदलाव भी किया था. मामले ने तब तूल पकड़ा जब शिवराज सरकार ने 2019 में बनाई नई पंचायतों के परिसीमन के एक साल बाद पंचायती राज अध्यादेश 2021 लाकर परिसीमन को निरस्त कर दिया था.
बीजेपी का आरोप था कि पंचायतों के परिसीमन को लेकर कांग्रेस ने कई गड़बड़ियां की थी। कांग्रेस ने कई पंचायतों को खत्म कर दिया और कई नई पंचायते बना दी थी. ये सब कांग्रेस के नेताओं ने अपने फायदे के लिए किया था. इस दलील के चलते कमलनाथ सरकार के समय में किए परिसीमन को निरस्त कर दिया था.
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