पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. किडनी रोगियों के लिए राहत भरी खबर है. विगत 4 सालों से डायलिसीस यूनिट स्थापना की प्रक्रिया लंबित चली आ रही थी, पर अब केंद्र की निशुल्क डायलिसिस सेवा योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग ने यूनिट स्थापना के अलावा सफलतापूर्वक ट्रायल की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है.

सीएमएचओ डॉक्टर एन आर नवरत्न ने बताया कि देवभोग में 2 और जिला अस्पताल में 3 यूनिट की स्थापना कर दी गई है. एक एमडी, मेडिकल ऑफिसर, हाउसिंग स्टाफ के अलावा टेक्नीशियन भी तैनात कर दिया गया है. 5 को जिला अस्पताल में दो मरीजों की सफलता पूर्वक डायलिसिस प्रक्रिया पूरी कर ट्रायल की ओपचारिकता भी पूरी कर ली गई है. जल्द ही कोडनी रोगियों का निशुल्क डायलिसीस भी शुरु कर दिया जाएगा. विधिवत ओपनिंग होना बाकी है, फिर भी इस बीच कोई मरीज डायलिसिस कराना चाहे तो सूविधा के आधार पर दोनों जगह सम्पर्क करें, तत्काल डायलिसिस किया जाएगा.

कलकत्ता के एसकैग संजीवनी करेगी ऑपरेट

फेयरफैक्स चेरिटेबल ट्रस्ट ने मशीनें दी है. 2018 में बीजेपी सरकार ने जिले में डायलिसिस मशीन स्थापना का एलान किया था. कांग्रेस की सरकार बनी तब भी प्रयास होते रहे, लेकिन अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने जीवनधारा निशुल्क डायलिसिस सेवा योजना की शुरुआत की है. इसके तहत कलकत्ता की कम्पनी एसकैग संजीवनी से केंद्र सरकार ने अनुबंध किया है. यही कम्पनी, योजना में लगने वाली मशीनें फेयरफैक्स चैरिटबल ट्रस्ट द्वारा उपलब्ध कराई गई है. कम्पनी की ओर से जिले का कमान संभाल रहे एडमिष्ट्रेटर रूपायन मिश्रा ने बताया कि जर्मन टेक्नालॉजी की ये अपग्रेटेड मशीनें है. पहले की तुलना में मरीजों की सहुलियत को ध्यान में रखकर मशीन तैयार किया गया है. डायलिसी पूरी तरह से निशुल्क होगी.

दो वर्षों में सुपेबेड़ा में 20 तो देवभोग में 8 की मौत किडनी रोग से

किडनी के रोगी केवल सुपेबेड़ा में ही नहीं है, बल्कि देवभोग ब्लॉक भर में इसके रोगी है. पिछले दो वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी मार्च 2020 से मार्च 2022 तक सुपेबेडा में 20 ऐसे लोगों ने दम तोड़ा है, जिन्हें किडनी की बीमारी भी थी, हालांकि स्वास्थ्य विभाग मौत की वजह अन्य ऑर्गन फेलियर भी बताती रही है. इस 20 क अलावा देवभोग नगर में किडनी फेलियर होने से दम तोड़ा है. देवभोग के मृत लोगों का इलाज निजी अस्पतालों में चल रहा था, सभी अपने स्तर पर डायलिसी करवा रहे थे. एक-एक मरीज के पीछे न्यूनतम 3 तो अधिकतम 15 लाख तक परिवार ने रुपए खर्च किए. एक मरीज को अधिकतम महीने में 3 डायलिसीस की जरूरत होती थी एक बार डायलिसिस में 10 से 12 हजार का खर्च आता था. सुपेबड़ा के मरीजों का खर्च सरकार वहन करती थी पर दूसरे जगह के मरीजों को खुद खर्च उठाना पड़ा था. केंद्र सरकार के नए पहल के बाद अब किडनी के किसी भी मरीज का निशुल्क डायलसिस पीड़ित परिवार के आर्थिक भार को कम करेगा.

15 मरीज ऐसे जिन्हे डायलिसिस की जरूरत

जिले से प्राप्त सरकारी रिकार्ड के मुताबिक जिले में अभी 15 पेशेंट है, जिन्हें डायलिसी की जरूरर है. ज्यादातर लोग अपने स्तर पर करवाना भी शुरू कर दिए है. जिले में 15 में से ,5 मरीज देवभोग ब्लॉक के है जिसमे से 3 सुपेबेडा के है, 2 देवभोग के रहने वाले है. गरियाबन्द, छुरा व मैनपुर में भी इसके मरीज है. डीकेएस रायपूर के सूत्रों के मूताबिक बीते 2 वर्षो में गरियाबन्द जिले से 180 किडनी मरीज पहूचे है. जिनमें से 70 से ज्यादा देवभोग ब्लॉक के है. फिलहाल सीएचसी में मौजुद आंकड़े बता रहे है कि सुपेबेड़ा में 35 लोग है जिन्हें किडनी सम्बन्धी बीमारी है. देवभोग के 2 नाम दर्ज है, जबकि अन्य गांव के मरीज अपने स्तर पर उपचार करवाने के कारण उनकी जानकारी विभाग के पास नही है.

फ़ोटो- 5 मई को जिला अस्पताल में गायडबरी निवासी 48 वर्षीय ताराचंद ध्रुव का सफल डायलिसीस किया गया।