नई दिल्ली। दिल्ली जिमखाना क्लब के कुल 106 सदस्यों ने सरकार द्वारा नियुक्त 6 सदस्यीय समिति को पत्र लिखकर क्लब में बड़ी संख्या में वित्तीय धोखाधड़ी, हेराफेरी, काल्पनिक खरीदारी और चीजों की अधिक लागत दिखाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. सदस्यों ने समिति को लिखे पत्र में एक स्विमिंग पूल का जिक्र भी किया है, जिसकी 5 करोड़ रुपए से अधिक की लागत (ओवररन) के संबंध में भी हेराफेरी का आरोप लगाया है, जिसके बारे में बताया गया है कि इसे एनडीएमसी से कोई क्लीयरेंस या मंजूरी भी प्राप्त नहीं है.
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एनडीएमसी से कोई क्लीयरेंस या मंजूरी नहीं मिली
पत्र में कहा गया है कि “2018-2020 की अवधि के दौरान भिड़े समिति की रिपोर्ट सामने आई थी, जिसने जामुन ट्री बैंक्वेट हॉल और 2017 में बने नए स्विमिंग पूल पर तीखे आरोप लगाए थे. अकेले स्विमिंग पूल की लागत 5 करोड़ रुपए से अधिक थी और आज तक इसे एनडीएमसी से कोई क्लीयरेंस या मंजूरी नहीं मिली है.” इसमें कहा गया है कि एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी राइट्स के माध्यम से क्लब द्वारा हाल ही में की गई एक जांच ने भी भारी लागत बढ़ने की पुष्टि की है और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार कई व्यक्तियों का नाम लिया है. सदस्यों का कहना है कि वे विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैसा था, जिसका दुरुपयोग किया गया है.
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जानबूझकर शक्तिशाली लोगों को बचाने का आरोप
मजार समिति द्वारा एक फॉरेंसिक ऑडिट का हवाला देते हुए जिसने 2018 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, सदस्यों ने आरोप लगाया कि एक काल्पनिक विक्रेता से आईटी उपकरण की अवैध खरीद बाजार मूल्य से लगभग दोगुनी कीमतों पर की गई थी. पत्र में कहा गया है कि “2.50 लाख रुपए की खरीद की मंजूरी के मुकाबले क्लब ने 4.26 लाख रुपए खर्च किए. उसी समय 2.18 लाख रुपए की सूची, जिसमें 4 कम्प्यूटर और 6 मदर बोर्ड शामिल थे, गायब पाई गई. इसके अलावा, एक फर्जी जीएसटी नंबर का इस्तेमाल किया गया था, जिससे क्लब को 2 लाख से अधिक का क्रेडिट नहीं मिल पाया.” सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि लॉकडाउन अवधि के दौरान बार को गुप्त रूप से खोला गया था और 2 लाख रुपए की शराब निकाली गई थी. इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि उच्च और शक्तिशाली लोगों को बचाने के लिए जानबूझकर जांच को गलत तरीके से संभाला गया.
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शराब के स्टॉक में पाई गई गंभीर विसंगति
पत्र में आगे कहा गया है कि “इस अवधि के दौरान आबकारी विभाग द्वारा छापेमारी की गई, जहां शराब के स्टॉक में गंभीर विसंगतियां पाई गईं. क्लब पर भारी जुर्माना लगाया गया. बोर्ड तथ्यों का पता लगा सकता है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है.” पत्र के अनुसार, “चूंकि वर्तमान बोर्ड में गैर-सदस्य शामिल हैं, जिनकी ओर से कोई निहित स्वार्थ/गलत करने वालों की रक्षा करने का कोई कारण नहीं हैं, इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि घोर कदाचार के लिए एओए के प्रावधानों के अनुसार पुलिस को मामलों की रिपोर्ट करके और संबंधित व्यक्तियों की सदस्यता को निलंबित करके सदस्यों के पैसे की वसूली के लिए जल्द कार्रवाई की जाएगी.”
6 सदस्यीय समिति नियुक्त
वकील और भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली, जो समिति के सदस्यों में से हैं, ने कहा कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की निरीक्षण रिपोर्ट पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने 1 अप्रैल को पारित अपने आदेश में विधिवत विचार किया था. उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल ने सरकार द्वारा नामित सदस्यों को आदेश में पहचाने गए मुद्दों पर तीन महीने या जब भी आवश्यक हो, एक बार रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. 1 अप्रैल को एनसीएलटी ने केंद्र को अपने मामलों के प्रबंधन के लिए दिल्ली जिमखाना क्लब की सामान्य समिति (जीसी) में निदेशक के रूप में नियुक्त करने के लिए 15 व्यक्तियों को नामित करने की अनुमति दी थी. कुछ दिनों बाद केंद्र ने क्लब की कमान संभालने के लिए 6 सदस्यीय समिति नियुक्त की थी.
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