रायपुर. सूर्य 15 मई की प्रातः 5 बजकर 29 मिनट पर मेष राशि की यात्रा समाप्त करके वृषभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इस राशि पर ये 15 जून को दोपहर 12 बजकर 03 मिनट तक गोचर करेंगे उसके बाद मिथुन राशि में चले जाएंगे. सिंह राशि के स्वामी सूर्य मेष राशि में उच्च राशि तथा तुला राशि में नीच राशि के माने गए हैं. आज सूर्य की वृषभ संक्राति है अर्थात् आज सूर्य अपनी उच्च राशि मेष से वृषभ राशि में गोचर करेंगे जो कि एक माह तक इसी राशि में भ्रमणरत रहेंगे.

शनिवार को सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से शनिवासरीय सूर्य संक्रांति का दोष लग रहा है, जिससे सूर्य एवं शनि के कारण विचार, रिश्तो एवं व्यवहार में विपरीतता के कारण विरोध, प्राकृतिक आपदा, विवाद एवं हानि के लक्षण बन सकते हैं किंतु वृषभ राशि में सूर्य के प्रवेश से ही राहु की युति समाप्त होकर बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है जोकि अधिकार एवं सत्ता का उपयोग कर शांति एवं सौहार्द कायम रहेगा. सूर्य के इस राशि परिवर्तन के साथ ही सूर्य बुध एक साथ आ रहे हैं और सूर्य के राहु के साथ युति समाप्त कर राहु दोष समाप्त हो रहा है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, वृषभ संक्रांति को मकर संक्रांति के समान माना गया है. इस दिन पूजा-पाठ, जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया गया है. संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में नहाने से तीर्थस्थलों के समान पुण्यफल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं वृषभ संक्रांति पूजा विधि और मंत्र वृषभ संक्रांति के दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ-सफाई करें. इसके पश्चात स्नान ध्यान करें.

घर पर ही गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान करें. इसके बाद सर्वप्रथम भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का जरूर उच्चारण करें. एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!. अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर. अपने पूर्वजों को शांत करने के लिए पितृ तर्पण करें. आप वृषभ संक्रांति पर व्रत का पालन भी कर सकते हैं. भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करें. वृषभ संक्रांति रीति-रिवाजों के अनुसार प्रसाद के रूप में तैयार पायसम या खीर चढ़ाएं. भगवान शिव और भगवान विष्णु को प्रसाद चढ़ाएं. अपने परिवार के अलग-अलग व्यक्तियों को प्रसाद परोसें. घरवालों को प्रसाद खिलाएं. किसी पवित्र ब्राह्मण परिवार को पवित्र गाय दान करें.