रायपुर. भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि गो दान से अनन्त पुण्य का अर्जन होता है और इससे बड़ा दान संसार में कोई भी नहीं है. इसलिए गो दान को महादान की संज्ञा दी जाती है. यह व्याक्ति को पवित्र बनाता है व परम शाश्वनत मोक्ष को पाने में सहायक होता है. हिंदू धर्म में कई तरह के दानों की बात की जाती है. मगर, इन सबमें गौ दान सबसे विशिष्ट है.
कहा जाता है कि गाय में सभी देवताओं का वास होता है और इसलिए गाय का दान करने से सभी तरह के कल्याण होते हैं. सब तरह के कल्याण और सभी के उपकार के लिए गोदान उपयोगी है. माना जाता है कि सूर्य के कमजोर होने और शुभ फल प्राप्ति गौदान करना चाहिए. गौ दान के रूप में आप चांदी के गाय-बछिया की जोड़ी भी दान कर सकते हैं.
क्यों करना चाहिए गौ दान
शास्त्रों के अनुसार, जो लोग श्रेष्ठ मृत्यु चाहते हैं, अलंकृत विमान के जरिए अपने परमात्मा के पास पहुंचना चाहते हैं, उन्हें गोदान जरूर करना चाहिए. इसके अलावा गोदान करने से पितृ मोक्ष भी होता है. इसलिए हिंदू धर्म में सभी मनुष्यों को जीवन में एक बार यह दान जरूर करना चाहिए.
किसे करें दान
गौदान किसे करना चाहिए, इसके बारे में भी हिंदू धर्म में विस्तार से बताया गया है. कहा गया है कि ब्राह्मण को किया गया गोदान ही सही होता है.
कैसी होनी चाहिए गाय
हमेशा ऐसी गाय का दान करना चाहिए, जो वृद्ध नहीं हो. उसके सींग और खुर चमकदार हों. गाय के साथ सोने या कांस्य के बर्तन में घी-दूध और तिल डालकर कुश के साथ उस गाय की पूंछ पर रखकर उसे दान किया जाना चाहिए. दान की पूर्णता के लिए गाय के साथ गौ चारा भी दान करना चाहिए.
गोदान विधि :- पुण्यकाल में पवित्र होकर पवित्र स्थान में अपनी धर्मपत्नी के साथ गोदान करना चाहिए. पहले आचमन करके प्राणायाम करना चाहिए. फिर कहना चाहिए मैं अपने सब पापों को दूर करने के लिए, सभी मनोरथ पूरा करने के लिए वेणीमाधव की प्रसन्नता के लिए गोदान का संकल्प करता हूं. संकल्प में मास, तिथि, वार, नक्षत्र, योग और अपने गोत्र का उच्चारण भी करना चाहिए. इसके बाद गणेशजी का पूजन कर गोदान लेने वाले ब्राह्मण का वरण करना चाहिए.