रायपुर. मानव जीवन में हर ग्रह की अपनी अपनी भूमिका होती है. यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे -चरक संहिता का यह श्लोकांश हमें समझाता है कि जो-जो इस ब्रह्माण्ड में है वही सब हमारे शरीर में भी है.यह भौतिक संसार पंचमहाभूतों से बना है.आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी. उसी प्रकार हमारा यह शरीर भी इन्हीं पाँचों महाभूतों से बना हुआ है.
इन पंचमहाभूतों की पंचतन्मात्राएँ हैं मनुष्य में भी ये सभी पंचतन्मात्राएँ विद्यमान हैं – आकाश की तन्मात्रा शब्द है. मनुष्य अपने कानों से सुनता है. वायु की तन्मात्रा स्पर्श है. मनुष्य अपने शरीर पर स्पर्श का अनुभव करता है. अग्नि की तन्मात्रा ताप है. अग्नि तत्त्व मनुष्य के शरीर में है, जिससे वह भोजन पचाता है और अग्नि जैसा तेज उसके चेहरे पर रहता है. जल की तन्मात्रा रस है. मनुष्य के मुँह से निकलने वाला रस भोजन को स्वादिष्ट बनाता है और शरीर को पुष्ट करता है. पृथ्वी की तन्मात्रा गंध है. पृथ्वी में हर स्थान पर गंध बिखरी हुई है. मनुष्य अपनी घ्राण शक्ति (नाक) से गंध को सूंघता है और आनन्दित होता है. अर्थात् जो पूरे विश्व में है वहीं इस शरीर में भी है. अगर किसी मानव शरीर को कोई कष्ट है तो उसका निराकरण भी इस भौतिक संसार में अवश्य होगा.
मनुस्मृति में कहा है-अन्नं ब्रह्म इत्युपासीत्।
अर्थात अन्न ब्रह्म है यह समझकर उसकी उपासना करनी चाहिए.
अथर्ववेद संहिता में कई वनस्पतियों, फलों और सब्जियों को रत्न का दर्जा दिया गया है. यह वनस्पतियां, फल और सब्जियां हमारे शरीर, मन और जीवन के लिए बहुत बहुमूल्य हैं. उनका सही तरीके से प्रयोग किया जाए, तो हम स्वस्थ रहेंगे और अपना कर्म अच्छे से कर पाएंगे. सेहत बनी रहे, इसके लिए हरी सब्जी, साबुत अनाज, फल आदि खाने की सलाह चिकित्सक भी देते हैं. यह शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व तो देते हैं, इनका संबंध आपके ग्रहों से भी जुड़ा होता है. आप जो खा रहे हैं, वह जीवन में खुशियां ला सकता है और बाधा भी खड़ी कर सकता है.
जब कोई ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति के जीवन में उससे संबंधित समस्या आ जाती है. ग्रहों को मजबूत करके हम उस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. इसके लिए हमें अपनी जीवनचर्या, खान-पान और स्वभाव में छोटे छोटे बदलाव करने पड़ेंगे. इन बदलावों से बहुत जल्दी हम अपने ग्रहों को मजबूत कर सकते हैं. ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव हमारे जीवन में सबसे पहले हमारे शरीर, फिर मन पर पड़ता है क्योंकि शरीर में नवग्रहों से संबंधित सभी तत्व पाए जाते हैं. सभी ग्रह कुंडली के अनुसार व्यक्ति के शरीर पर अच्छा और बुरा प्रभाव डालते हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आप ग्रह नक्षत्रों के अशुभ फलों को कुछ विशेष फल व सब्जियों और उनके रसों के सेवन और उनके दान द्वारा उन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शुभ प्रभाव में बदल सकते हैं. फलों व सब्जियों के अर्क का सेवन करके अपने ग्रहों को शांत करके उनकी अनुकूलता पा सकते हैं.
आयुर्वेद और ज्योतिष का गहरा नाता है. हमारा प्रत्येक कर्म ग्रहों को प्रभावित करता है. खानपान से भी नवग्रहों की शुभता बढ़ाई जा सकती है. मौसम के अनुसार अनेक प्रकार की सब्जियॉ और फल ये प्रकृति हमें देती हैं. आयुर्वेद में कहा गया है कि शरीर की तासीर के अनुसार अन्न का सेवन करना चाहिए. उसी प्रकार ज्योतिष में कहा गया है कि ग्रहो के अनुसार इनका सेवन ग्रहों के शुभाशुभ और राशि के आधार पर करने से ग्रहो को अनुकूल किया जा सकता है, जो कि अंततः हर प्रकार से शुभाशुभ फल प्रदान कर्ता होता है. प्रत्येक व्यक्ति की अपनी तासीर और उसके ग्रहो का शुभ अशुभ अलग अलग हो सकता है. आज हम जानेंगे कि शुक्र ग्रह की शुभता को कैसे प्रबल करें और उसके किन उपाय से अधिकतम लाभ एवं कम से कम हानि हो. शुक्र सौंदर्य, ऐश्वर्य, धन, सुख सुविधाओं और भौतिक सुख का कारक ग्रह है. यह राक्षसों का गुरु होने के बाद भी बहुत विद्वान माना जाता है जो जीवन के सुख के लिए विशेष ग्रह है.
शुक्र ग्रह की अनुकूलता के लिए स्नान के बाद सुगंध जरूर लगाएं. साफ सुथरे और सुन्दर चमकीले रंग के वस्त्र धारण करें. कपड़े और बाल बिखरे हुए न रखें. चमकदार सफेद रंग का भी प्रयोग कर कसते हैं. प्रातःकाल रस में लीची का रस, गन्ने का रस, खरबूजे का रस। इससे शुक्र ग्रह की अशुभता दूर हो सकती है. चीनी का घोल व मूली, शलगम का रस भी लाभकारी होगा. लौकी व दूध दही से बनी चीजें भी शुक्र को प्रबल करने में सहयोगी होंगी. दोपहर के भोजन में दही जरूर खाएं. शुक्र से संबंधित सब्जी एवं फलशुक्र का संबंध सभी फूलदार वनस्पति, जमीन के भीतर बढ़ने वाली सब्जियां, जैसे आलू, गाजर, प्याज से है.
शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा एवं इसके नक्षत्रों (भरानी, पूर्व फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा) के समय दान करना चाहिए. अतः उक्त फलो को इन शुभ समय में दान भी किया जा सकता है.
शुक्र मीठे और खट्ठे रस से जुड़ाव रखते हैं. संतरा नींबू आंवला और खटाई आदि का सेवन शुक्र को बल देने वाले हैं. शुक्र को बढ़ाने के लिए पनीर की विभिन्न सब्जियों को खाना उत्तम है. वृषभ, कर्क, तुला, धनु, मीन राशि वालों का स्वभाव सुस्त होता है तो उनमें कफ प्रधान होता है. जब कफ बहुत अधिक हो, गुड़, शहद लेना चाहिए. गरम मसाले जैसे अदरक और काली मिर्च का उपयोग भी ग्रह दोष को कम करने में मदद करता है.
दान करने वाली वस्तुएं- दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि. शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अरंड मूल अथवा सरपंखा मूल धारण करें. अरंड मूल/सरपंखा मूल को शुक्रवार के दिन शुक्र की होरा अथवा शुक्र के नक्षत्र में धारण किया जा सकता है. शुक्रवार के दिन दही में चीनी डालकर खाना शुभ फल देता है. इस प्रकार सिर्फ रत्न या पूजा पाठ मंत्रजाप ही नहीं दैनिक जीवन के कुछ सामान्य उपाय भी आपके जीवन और भाग्य को बदलने में सक्षम होते हैं, जिसमें ग्रहो से जुड़े फल एवं सब्जियो से भी आप ग्रहो के शुभाशुभ फल प्राप्त करने में समर्थ रह सकते हैं.