सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नियमितीकरण का वादा किया था, लेकिन सरकार वादा करके भूल गई है. लेकिन हम नियमितीकरण लेकर रहेंगे. यह बात 50 दिन से राजधानी के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठे मनरेगा कर्मचारियों ने अपनी मांग को लेकर कही.
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर मनरेगा कर्मचारी बैठे हैं. संघ के पदाधिकारियों का आरोप है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात के बाद गठित कमेटी की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ने पर सवाल उठाया है. संघ के प्रवक्ता सूरज सिंह ने कहा कि मनरेगा में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी का आंदोलन 50 वां दिन आज है. छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहला कर्मचारी आंदोलन है, जिन्होंने आजाद भारत में गांधीवादी तरीके से 400 किमी की पदयात्रा कर राज्य सहित देश के अन्य राज्य के कर्मचारियों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफलता प्राप्त की है.
उन्होंने कहा कि पूरा कर्मचारी जगत इस आंदोलन पर अपनी नजरें टिकाए बैठे हैं, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं चूंकि इनकी मांगें पूरी होती है, तो प्रदेश में वर्षों से संविदा कुप्रथा का दंश झेल रहे कर्मचारियों के मन में नौकरी खो जाने के भय के अधेरे में उम्मीद की एक किरण जागेगी. उन्होंने कहा कि मनरेगा कर्मचारियों ने बीते 50 दिनों में सत्याग्रह के तरीकों को अपनाकर शारीरिक और मानसिक रूप से अपने को मजबूत बनाया है. इसलिए 42- 45 डिग्री तापमान में 400 किमी पदयात्रा से आए पैरों छाले और राजधानी के सचिवालय और संचानालय के एसी कमरों से निकलने वाली लुभावनी शीतलता और गर्म हवाएं भी इनके हौसलों को डगमगा नहीं पाई.
मुख्यमंत्री की ओर टिकी है निगाहें
सूरज सिंह ने कहा कि प्रशासन के आंदोलन समाप्त कराने के हथकंडे जब बेअसर नजर आने लगे तब कमेटी गठन और हड़ताल के 38 दिनों उपरांत रोजगार सहायकों का मानदेय 5000 रुपए से बढ़ाकर 9540 रुपए की घोषणा करवा दी गई. लेकिन यह लुभावनी तरकीब भी बेअसर साबित हुई. कर्मचारी चुनावी जन घोषणा पत्र में किए गए वादे के पूर्ण होने की आस के साथ मुख्यमंत्री की ओर नजरे टिकाए हुए हैं.
ये है माँग
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नियमितीकरण का वादा किया था, और वहीं वादा आज हम उनको याद दिला रहे हैं. उन्होंने कहा था कि पहले साल किसान का दूसरे साल कर्मचारियों का, लेकिन सरकार वादा करके भूल गई है. लेकिन हम नियमितीकरण लेकर रहेंगे.
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