रायपुर. 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने हमला कर 32 लोगो की हत्या की थी. इस घटना को 9 साल बीत चुके हैं. बावजूद इसके पीड़ितों को अभी तक न्याय नही मिला है. झीरम घाटी की घटना की नवीं बरसी मनाई जा रही है. कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश भर में शहीदों को नमन किया है. ये सारी बातें विधानसभा भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में स्पीकर चरणदास महंत ने कही.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी अमर शहीदों के परिजनों का सम्मान समारोह रखा गया था. जिसमें शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही शहीदों के परिजनों का सम्मान किया गया. इसके अलावा झीरम के वीरों के नाम से एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया.
कांग्रेस नेताओं की ही हत्या क्यों ?
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष ने कई सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि झीरम घाटी की घटना बर्बरता का उदाहरण है. जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. नक्सलियों ने हमारे नेताओं को बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया. महंत ने कहा कि घटना का कोई क्लू अभी तक नहीं मिला है. उस घटना में कांग्रेस के नेताओं की ही हत्या क्यों हुई? आखिर पीड़ितों को न्याय कब मिलेगा. स्पीकर ने कहा कि वे सरकार से मांग करेंगे कि पीड़ितों को जल्द न्याय मिले और उनके बच्चो को सरकार जो भी दे सकती है वो दे.
कब तक मिलेगा न्याय ?
स्पीकर ने घटना को याद करते हुए कहा कि आज हम सभी ने शपथ ली है, देखना होगा हम पीड़ित परिजनों को कितना और कब तक न्याय दिला पाते हैं. हमारे सामने ये एक प्रश्नचिन्ह है. उन्होंने कहा कि खबरों के जरिए झीरम के मामले को सामने लाया जाता रहा है. जांच पड़ताल की जाती रही है. लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते. जहां बोलने का मौका मिलता है, थोड़ा बहुत बोल लेते हैं.
हम अमर नहीं हो पाए- महंत
महंत ने कहा कि हम लोग उन लोगों में से हैं जो अमर नहीं हो पाए. मुझे याद है 24 मई की दोपहर को हम गाड़ी में विद्याचरण शुक्ल के साथ घूम रहे थे. 25 मई को मुझे अचानक मुंबई निकलना पड़ा. उन्होंने कहा कि कुछ नहीं कह सकता कि इस घटना में किसका दोष है, इसके पीछे कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत कारण है या ये पूरी तरह से नक्सल घटना है, तरह तरह की कहानियां बन रही हैं, लेकिन इसमें कांग्रेस के लोग ही मारे गए.
‘कई परिस्थितियां तत्कालीन सरकार पर शक पैदा करती हैं’
अध्यक्ष ने कहा कि हम सब नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे. उसके बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार नहीं आईं. झीरम मानवीय बर्बरता का ऐसा उदाहरण है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया. कांग्रेस विधायक अमितेश शुक्ल ने कहा कि झीरम की घटना का पर्दाफाश होना चाहिए. कई परिस्थितियां तत्कालीन सरकार पर शक पैदा करती हैं.
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