नई दिल्ली. आतंकवाद के कारण कश्मीर से विस्थापित होकर दिल्ली-एनसीआर में बसे कश्मीरी पंडितों ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद होने पर खुशी तो जताई, पर वे इस फैसले से असंतुष्ट भी नजर आए. पिछले 32 साल से इस पल का इंतजार कर रहे कश्मीरी पंडितों का कहना है कि जब वह जुर्म कुबूल कर चुका था तो उसे फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी.

 कश्मीर समिति दिल्ली के अध्यक्ष समीर च्रंगू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यासीन मलिक को सुनाई गई सजा कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलने की दिशा में एक कदम है. केवल एक यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा से कुछ नहीं होगा. कश्मीरी पंडितों ने 1989 से लेकर अभी तक बहुत सारे अपराधों का सामना किया है. इसमें बहुत लोग शामिल रहे हैं. ऐसे में इस फैसले को अभी पूरा न्याय नहीं कहा जा सकता.

ननिहाल में छापे से यासीन के आतंकी होने का खुलासा हुआ : गाजियाबाद के शालीमार गार्डन में रह रहे एक कश्मीरी पंडित कहते है कि 1989 में यासीन मलिक श्रीनगर के मौसूमा में रहता था और कुकुरना में उसका ननिहाल था. उस समय कुकुरना में उनका फोटो स्टूडियो था. इसी साल यासीन मलिक के ननिहाल में किसी की शादी थी, जिसमें शामिल होने वह भी यहां आया हुआ था. फोटो खींचने के लिए उन्हें बुलाया गया था. देर रात अचानक पुलिस के छापे से यहां अफरातफरी मच गई. इसी का फायदा उठाकर यासीन भाग निकला. घटना के बाद यासीन के आतंकवादी संगठन से जुड़े होने का खुलासा हुआ.