रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने हाल में रिलीज फ़िल्म भूलभुलैया 2 को अंधविश्वास फैलाने में सहायक बताया है. साथ ही कहा कि सेंसर बोर्ड को ऐसी फिल्मों को पास करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए. देश मे वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हमारे देश के संविधान का महत्वपूर्ण अंग है, जबकि भूलभुलैया 2 में भूत प्रेतात्मा, अविश्सनीय कपोलकल्पित तांत्रिक अनुष्ठानों को बढ़ावा दिए जाने के निंदनीय दृश्य है.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा देश भर से डायन ,जादू टोने के सन्देह में प्रतिवर्ष हजारों महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामले सामने आते है .जादू टोना कर बीमार करने के सन्देह में हजारों महिलाओं की हत्या तक हो जाती है .बलि पशुबलि के मामले भी सामने आते है तब मनोरंजन के नाम पर अंधविश्वास फैलाना कैसे सही कहा जा सकता है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा सेंसर बोर्ड को यह ध्यान रखना चाहिए कि कुछ फिल्मों में निर्माता-निर्देशक एक लाइन का यह संदेश डाल देते है कि हमारा उद्देश्य अंधविश्वास फैलाना नहीं है, पर उसके बाद फ़िल्म के अनेक दृश्यों में भूत प्रेतात्मा, तांत्रिक, खून-खराबा का जोर ही दिखाई देता है. शराब और धूम्रपान के जब भी दृश्य दिखाये जाते हैं, तब उनके नीचे हमेशा एक संदेश चलाया जाता है कि मद्यपान/सिगरेट पीना हानिकारक है, उसी प्रकार जब भी किसी भी फ़िल्म में चमत्कारिक घटनाओं, भूत-प्रेतों, डायन आदि के अविश्वसनीय दृश्य दिखाए जावें तब नीचे यह संदेश हमेशा दिखाया जाना चाहिए कि यह सब काल्पनिक और भ्रामक है, इस पर भरोसा न करें.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा संविधान की धारा 51-ए में मानवीयता एवं वैज्ञानिक चिंतन को बढ़ावा देने में सरकार के प्रतिबद्ध रहने की बात की गई है और सेंसर बोर्ड द्वारा यह सुनिश्चित की जानी चाहिये. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से विभिन्न चैनलों पर अविश्वसनीय घटनाओं, भूत-प्रेत, डायन, चमत्कारिक और काल्पनिक घटनाओं पर आधारित धारावाहिकों का प्रसारण हो रहा है. इन धारावाहिकों से न केवल बच्चों के मन और मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि अंधविश्वास के कारण होने वाली घटनाएं बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करना केबल टेलीविजन नेटवर्क्‍स अधिनियम 1995 का उल्लंघन भी है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि उनकी समिति ने पूर्व में भूत-प्रेत व अंधविश्वास की घटनाओं वाले धारावाहिकों से जनमानस पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वेक्षण करवाया था. बुद्धिजीवी नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों, नागरिकों, गृहणियों और विद्यार्थियों ने ऐसे धारावाहिकों को बंद करने के पक्ष में राय दी थी. उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर ऐसी फिल्मों व धारावाहिकों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है.