दुर्ग- दुर्ग रेंज के आईजी जीपी सिंह ने आज अपराधिक गतिविधियों एवं प्रकरणों के संबंध में पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा एवं कबीरधाम के पुलिस अधीक्षकों की आईजी कार्यालय में क्राईम मीटिंग ली,जिसमें क्राईम के आंकडों की समीक्षा कर जरूरी दिशानिर्देश दिये.जीपी सिंह ने कहा कि Whatsapp ग्रुप में पैनी नजर रखी जाये.उन्होनें कहा कि जिलों में संचालित विभिन्न वाट्सएप्प ग्रुप के माध्यम से सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक रूप से आक्रोश फैलाने वाले संदेश प्रसारित किए जाते हैं, जिससे अनेको बार कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती है. अतः ऐसे वाट्सएप्प ग्रुप पर नजर रखी जाए तथा इनके ग्रुप एडमिनों की सूची तैयार कर ली जावे.
इसके अलावा आज की बैठक में निम्नांकित मुद्दों पर चर्चा की गई.
क्राईम के आंकड़ेः– बैठक में समीक्षा के दौरान प्राप्त आंकड़ों अनुसार जिला राजनांदगांव में 845, जिला कबीरधाम में 241, जिला बेमेतरा में 116 एवं बालोद में 289 अपराध लंबित है। जिला राजनांदगांव में 426, जिला कबीरधाम में 165, जिला बेमेतरा में 58 एवं बालोद में 230 मर्ग लंबित पाए गए है। गुम इंसान के अंतर्गत जिला राजनांदगांव में 519 प्रकरण, कबीरधाम में 152, बेमेतरा में 283 एवं बालोद में 211 प्रकरण लंबित हैं। समंस/वारंट का अवलोकन किया गया, समंस/वारंट के अंतर्गत जिला राजनांदगांव में 97 प्रकरण, कबीरधाम में 2, बेमेतरा में 62 एवं बालोद में 27 प्रकरण लंबित हैं। जमानती वारंट के अंतर्गत जिला राजनांदगांव में 79 प्रकरण, कबीरधाम में 1, बेमेतरा में 26 एवं बालोद में 2 प्रकरण लंबित हैं। गिरफ्तारी वारंट के अंतर्गत जिला राजनांदगांव में 152 प्रकरण, कबीरधाम में 5, बेमेतरा में 28 एवं बालोद में 5 प्रकरण लंबित हैं। स्थाई वारंट के अंतर्गत जिला राजनांदगांव में 3708 प्रकरण, कबीरधाम में 528, बेमेतरा में 161 एवं बालोद में 605 प्रकरण लंबित हैं।
गुम इंसानों की दस्तयाबी की कार्यवाही:- गुमशुदा इंसानों के प्रकरणों में लगातार हो रही वृद्वि को ध्यान में रखते हुए अधिक गंभीरता से जांच करने की आवश्यकता है। गुमशुदा इंसानों के परिजनों/रिश्तेदारों/मित्रों से गंभीरतापूर्वक पूछताछ किया जावे तथा क्लोज सर्किट, टी.व्ही.कैमरा के मदद से पहचान/परीक्षण किया जावे।
समंस/वारंटों की तामीली:– लंबित प्रकरण के तामिली का प्रतिशत पर चिंता व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षकों को 40 प्रतिशत का न्यूनतम लक्ष्य देते हुए स्थाई वारंट की तामील करने निर्देशित किया गया। जमानती, गिरफ्तारी, स्थाई, समंस/वारंट के लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु एक निश्चित समयावधि के भीतर तामिली कराना सुनिश्चित करने एवं माननीय न्यायालयों के निर्देशों के पालन में व समंस वारंटों की तामीली में किसी भी तरह की लापरवाही पाये जाने पर संबंधित पुलिसकर्मियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया।
173(8) जा.फौ. की कार्यवाहियों में तेजी:– 173(8) जा.फौ. के जिला राजनांदगांव में 72, कबीरधाम में 7, बेमेतरा में 19 एवं बालोद में 12 प्रकरण लंबित हैं। 173(8) जा.फौ. के लंबित प्रकरणों के निराकरण हेतु पुलिस अधिकारियों एवं पर्यवेक्षण अधिकारियों को एक विशेष अभियान चलाकर गिरफ्तारी करने के संबंध में विधि संगत कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
सीमाओं से मुक्त पुलिसिंग:-असामाजिक तत्वों एवं अपराधियों की गतिविधियां सीमाओं से बाधित नहीं रहती है। अतः थाना प्रभारी को निर्देशित किया जाए कि शिकायत लेकर आने वाले पीड़ित को थाना क्षेत्र के बंधन से ऊपर उठकर यथोचित राहत दें तथा सीमाओं से मुक्त पुलिसिंग की कार्यवाही सुनिश्चित करें।
असामाजिक तत्वों एवं अवैधानिक व्यापार करने वालों पर कार्यवाही:– असमाजिक तत्वों को बढ़ावा देने वाले अवैधानिक व्यापार जैसे जुंआ, सट्टा, कबाड़ी, फरनेस आॅयल, पीडीएस केरोसिन, गांजा, गौ-तस्करी, अवैध शराब की तस्करी, हुक्काबार, एवं ड्रग माफिया पर रोक लगाकर, अपराध के जड़ पर कार्यवाही किया जावे, इस संबंध में पूर्व में भी इस कार्यालय से दिशा-निर्देश प्रसारित किया गया है।
आम नागरिकों के फीडबैक से ज्ञात होता है कि असमाजिक तत्वों के द्वारा किये जाने वाले Public Nuisance जैसे रंगदारी, डराने-धमकाने, मारपीट करने, चाकूबाजी, शराब का सेवन कर हुल्लड़बाजी करने एवं छेड़छाड़ के सामान्य अपराधों से ज्यादा परेशान रहती है। इसलिए छोटे-से-छोटे किस्म के अपराधों पर त्वरित कार्यवाही करने की आवश्यकता है। इस तरह की कार्यवाही से बड़े अपराधों पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।
ऐसे प्रत्येक व्यवसाय जो गुंडागर्दी की आड़ में पनपते हैं जैसे जमीन खाली कराना, घर खाली कराना, ब्याज की वसूली, इंश्योरेंस, Seizure Business उस पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाये। अपराधियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों को भी तत्काल संज्ञान में लिया जाकर समुचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। क्रास-केस की आड़ में भी गुंडागर्दी के ऐसे कुछ दृष्टांत सामने आये हैं, जिसमें क्रास-केस की आड़ में गुंडे व असामाजिक तत्वों को मदद मिलती है, ऐसे मामलों में पर्यवेक्षणीय अधिकारियों द्वारा विशेष रूचि लेकर थाना प्रभारियों से नियमानुसार कार्यवाही कराया जाए।
शरीर संबंधी अपराध पर कार्यवाही:– शरीर संबंधी अपराध व गुंडागर्दी के प्रकरणों में पुलिस Zero Tolerance की नीति अपनानी चाहिये। थाने में पुलिसकर्मी का Body Language गुंडों के प्रति सख्त व पीड़ित व्यक्ति के प्रति मददगार होना चाहिये। ऐसी कार्यवाही से आमजन का पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ेगा साथ ही अपराध संबंधी सूचनायें भी प्राप्त होगी।
संपत्ति संबंधी अपराधों पर कार्यवाही:- संपत्ति संबधी अपराधों में बरामदगी पर थाना प्रभारियों को विशेष ध्यान देने की आवश्यता है। इसहेतु पुलिस अधीक्षक/एसडीओपी एवं अन्य पर्यवेक्षणीय अधिकारी स्वयं रूचि लेकर लंबित संपत्ति संबधी अपराधों में बरामदगी के स्तर में वृद्वि करने हेतु ठोस पहल करें।
इस आंकलन के आधार पर गश्त, नाकाबंदी व अपराधियों की तलाश, रेड इत्यादि की योजना बनाई जावे एवं समय-समय पर स्वयं समीक्षा कर आवश्यकतानुसार अपने स्तर पर समयबद्ध अभियान चलाकर अपराधियों के विरूद्ध विधिसंगत कार्यवाही सुनिश्चित किया जावे। संपत्ति संबंधी अपराधों में माल मुजलिमों का पता करने का कारगर प्रयास सुनिश्चित करें जिससे कि बरामदगी के प्रतिशत में वृद्धि हो।
चिट-फण्ड/धोखाधडी के खिलाफ कार्यवाही:- 420 भादवि के प्रकरणों में विशेषकर चिट-फण्ड जैसे प्रकरणों पर विशेष सक्रियता की आवश्यकता है। ऐसे प्रकरणों की समीक्षा के दौरान प्रकाश में आया है कि विवेचक मूल दस्तावेज प्राप्ति हेतु मौखिक रूप से कार्यवाही करते हैं जो उचित नहीं है इस संबंध में सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत् कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। यदि किसी विभाग से प्रकरण से संबंधित मूल दस्तावेज प्राप्त करना आवश्यक हो, तो संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी को विधिसंगत पत्र लिखा जावे। वहीं चिट-फण्ड के प्रकरणों में छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम – 2005 एवं नियम – 2015 के अनुसार चिट-फण्ड/धोखाधडी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने के संबंध में निर्देशित किया गया है।
साईबर क्राईम एवं प्रशिक्षण:– वर्तमान परिदृश्य में प्रायः प्रत्येक अपराध से संबंधित साईबर संबंधी साक्ष्य उपलब्ध होते हैं जो प्रकरण की विवेचना के लिये आवश्यक है। पुलिस अधीक्षकगण जिले में समय-समय पर सायबर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करना सुनिश्चित करें, ताकि सायबर संबंधी अपराधों का निराकरण में तेजी आ सके।
विवेचना के स्तर में सुधारः– केस डायरी में विवेचना के दौरान मूल दस्तावेजों, सीडीआर डिटेल्स व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों आदि के संकलन में विवेचकों द्वारा लापरवाही बरतने पर अभियुक्तो को इसका लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिये थाना प्रभारियों द्वारा समय-समय पर विवचकों के कार्यों की समीक्षा करने एवं नगर पुलिस अधीक्षक/एसडीओपी द्वारा इसका नियमित रूप से पर्यवेक्षण किया जाने हेतु निर्देशित किया गया।
अन्य अपराध विवेचना संबंधी निर्देश:- प्रो-एक्टिव कार्यवाही के तहत क्षेत्र में हो रही अवैध प्लाटिंग आदि पर नज़र रखा जाए एवं अवैध प्लाटिंग की पुष्टि होने पर नियमानुसार कार्यवाही किया जाए।
बैठक के दौरान जीपी सिंह ने कहा कि बेसिक पुलिसिंग को सुदृढ़ करने मंे थानों की अहम भूमिका होती है, जिसके लिये थाना स्तर पर क्रिमिनल इंटेलीजेंस होना आवश्यक है। कई बार ऐसे अपराधी भी पकड़ में आते हैं, जिनके खिलाफ हमारे पास कोई रिकार्ड नही रहता जबकि वह पूर्व में भी अपराध को अंजाम दे चूका होता है। इस लिए अपराधियों से पूछताछ के प्रभावी तरीके अपनाने की आवश्यकता है ताकि उनके अन्य अपराध में संलिप्तता की जानकारी मिल सके।