अजय दुबे, सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में एपीएमडीसी कंपनी के सुलियरी कोल माइंस मझौली के विस्थापितों ने मुआवजा नहीं मिलने पर मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों ने कंपनी द्वारा किए जा रहे ट्रांसपोर्ट को रोककर प्रदर्शन किया।
विस्थापितों का आरोप है कि बिना मुआवजा दिए एपीएमडीसी कंपनी ने कोयले का खनन शुरू कर दिया है। साथ ही गांव के बीचों-बीच रास्ता बनाकर कोल का परिवहन किया जा रहा है, जिससे प्रतिदिन हादसे की संभावना बनी रहती है। साथ ही धूल उड़ने से उनको सांस लेने में परेशानी हो रही है।
दरअसल, सिंगरौली जिले में सुलियरी कोल माइंस को एपीएमडीसी कंपनी ने अधिग्रहण किया है, लेकिन वहां के विस्थापित किसानों को अभी तक पूरी तरह से मुआवजा नहीं दिया गया है। इधर एपीएमडीसी ने अडानी कंपनी के माध्यम से कोयले की खुदाई का कार्य शुरू करवा दिया गया है। जिससे पीड़ित ग्रामीण नाराज है। उनका कहना है कि उनके घरों के पास कोयला खनन के लिए ब्लास्टिंग की जाती है, जिससे उन्हें घर में अब रहने में डर लगने लगा है। वहां रहने वाले लोगों का आरोप है कि ब्लास्टिंग से घरों में दरारें आ गई हैं। जो कभी भी गिर सकते हैं।
प्रतिबंधित रास्तों में चल रहे भारी वाहन
विस्थापितों का यह भी आरोप है कि वो मुआवजे को लेकर कई बार कंपनी के अधिकारी शैलेंद्र सिंह से बातचीत भी की, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिलता है। विस्थापितों का कहना है कि सुलियरी कोल माइंस से अडानी के द्वारा खुदाई कर गांव के बीचोंबीच प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से कोल का परिवहन दिन-रात किया जा रहा है, जिससे सड़कों पर चलना और प्रदूषण से वहां रहना अब मुश्किल हो गया है।
तहसीलदार ने दी विस्थापितों को धमकी
वहीं प्रदर्शन की खबर मिलने के बाद जितेंद्र वर्मा तहसीलदार मौके पर पहुंचे और विस्थापितों पर कोल परिवहन रोकने पर जमकर भड़क गए। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि देखता हूं कि कोल परिवहन गांव के बीचोंबीच जाने से कौन रोकता है। इतना ही नहीं पुलिस को विस्थापित युवक भारत पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
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