रायपुर. मध्यरात्रि लगभग 03 बजकर 20 मिनट पर शनि कुंभ राशि में रहते हुए अब इसमें वक्री चाल से चलने वाले हैं. बीते 29 अप्रैल से अपनी दूसरी स्वराशि कुंभ में विराजमान है. शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व प्राप्त है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी कोई ग्रह अपनी स्वयं की राशि में होता है तो वह सदैव अच्छा परिणाम देता है. हालांकि

जब भी कोई ग्रह वक्री होता है यानी उल्टी दिशा में चलने लगता है तो जातकों के जीवन पर विपरीत असर डालने लगता है. कार्य में छोटी-मोटी बाधाएं पैदा होने लगती हैं. करियर में असफलताएं और व्यापार में कम मुनाफा मिलने के संकेत देती है. व्यक्ति के खर्चे पहले की तुलना में बढ़ जाते हैं. लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि जातक की कुंडली में शनि देव किस भाव में विराजमान हैं. शुभ भाव में होने पर अच्छा परिणाम और अशुभ भाव में बैठने पर परेशानियां देते हैं.

ज्योतिष में शनि ग्रह की चाल और स्वभाव का विशेष महत्व होता है. शनि ग्रह को कर्म फल दाता कहा जाता है. यह व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर ही फल प्रदान करते हैं. शनि ग्रह के राशि परिवर्तन, अस्त, मार्गी और वक्री होने पर देश-दुनिया के साथ सभी जातकों के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है. सभी ग्रहों में शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं. शनि किसी भी राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं और इस दौरान मार्गी और वक्री चाल भी चलते हैं. शनि इस महीने 4 की मध्यरात्रि अर्थात् 05 जून को सुबह करीब 3 बजकर 20 मिनट पर वक्री हो जाएंगे. 5 जून से वक्री होने जा रहे शनि आने वाले अक्टूबर 2022 तक इसी स्थिति में रहेंगे.

इस दौरान वे उन जातकों को ज्यादा परेशान करेंगे जिन पर साढ़े साती या ढैय्या चल रही है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर हैं, उन्हें भी परेशानी हो सकती है. चूंकि शनि कर्मों के मुताबिक फल देते हैं, इसलिए उन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है जो जरूरतमंदों-असहायों की मदद करते हैं. सफाई कर्मचारियों, मेहनतकश लोगों का शोषण नहीं करते हैं और उनसे सम्मान से बात करते हैं. फिर भी शनि के वक्री रहने के दौरान मेष, कर्क और सिंह राशि वालों को सतर्क रहना चाहिए.