शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद दावेदारों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. टिकट दावेदारों की भोपाल दौड़ शुरू हो गई है. बीजेपी-कांग्रेस दफ्तरों पर दावेदारों का जमावड़ा लगा हुआ है. टिकट दावेदार बीजेपी प्रदेश मुख्यालय पहुंच रहे हैं. मेयर और पार्षद पद के लिए टिकट दावेदार सिंगरौली से भोपाल पहुंचे हैं. बीजेपी एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के तहत टिकट तय कर सकती है. इस फॉर्मूले के बाद छोटे कार्यकर्ताओं को भी टिकट की उम्मीद जगी है.
टिकट मांगना बीजेपी के हर कार्यकर्ता का हक
टिकट दावेदारों की भोपाल दौड़ पर बीजेपी का कहना है कि नेताओं को टिकट की दावेदारी जताना स्वस्थ परंपरा है. वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी दावेदारी जताना उनका हक है. टिकट तय होने के बाद सारे दावेदार उम्मीदवार को जिताने में जुट जाएंगे. जेपी नड्डा टिकट की गाइडलाइन तय कर चुके है. उसी आधार पर टिकट दिया जाएगा.
कांग्रेस दफ्तर में भीड़, एक सीट पर कई दावेदार
पीसीसी दफ्तर में भी टिकट की दावेदारों का जमावड़ा लगा हुआ है. बड़ी संख्या में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दावेदार पहुंचे हुए हैं. बायोडाटा लेकर नेता और कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं. वरिष्ठ नेताओं के सामने दावेदारी जता रहे हैं. सज्जन सिंह वर्मा एक-एक दावेदारों से अलग-अलग मुलाकात कर रहे हैं. कांग्रेस के अंदर एक अनार सौ बीमार की स्थिति पैदा हो गई है. टिकट के दावेदारों का प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में जमावड़ा है. एमपी कांग्रेस भितरघात को लेकर अलर्ट हो गई है.
कार्यकर्ताओं को मनाने कांग्रेस ने बनाई प्लानिंग
नगरीय निकाय चुनाव में टिकट नहीं मिलने वाले दावेदारों के गुस्से को शांत करने के लिए प्लानिंग बनाई है. कांग्रेस ने जिला स्तर पर कमेटी बनाई है. डैमेज कंट्रोल और अनुशासन समिति बनाई गई. दोनों कमेटियां टिकट नहीं मिलने वाले नेताओं को समझाइश घर पहुंचकर देगी. टिकट नहीं मिलने वाले दावेदारों को पद संगठन में दिया जाएगा. कांग्रेस ने माना कई सीटों पर ज्यादा दावेदार हैं. दावेदार ज्यादा होने के कारण किसी को त्याग करना पड़ेगा. त्याग नहीं करेंगे तो जीत नहीं मिलेगी.
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बीजेपी की चुनावी रणनीति
बीजेपी में विधायक और सांसद को टिकट नहीं मिलेगी. संगठन में पद रखकर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ना होगा. महिला आरक्षित सीटों पर पत्नी-बेटी को टिकट नहीं मिलेगा. 80 फीसदी युवाओं को निकाय में टिकट मिलेगी. चुनाव में मिल जाए हार लेकिन वंशवाद से समझौत नहीं है.
कांग्रेस की चुनावी रणनीति
कांग्रेस के अंदर सिर्फ विनिंग कैंडिडेट पर फोकस किया जाएगा. जीत के लिए परिवारवाद से भी परेहज नहीं है. कांग्रेस के अंदर विधायक को भी मेयर का टिकट मिलेगा. 50 फीसदी युवाओं को टिकट देने की प्लानिंग है. महिला को पिछली बार के मुकाबले ज्याद टिकट देने की रणनीति है. ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी टिकट देने का लक्ष्य है. भितरघात को लेकर डैमेज कंट्रोल के लिए समिति गठित है.
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