चंडीगढ़, पंजाब। रोड रेज केस में एक साल जेल की सजा काट रहे पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को सोमवार को लीवर संबंधी समस्याओं के चलते चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के हेप्टोलॉजी वार्ड में भर्ती कराया गया. हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख वीरेंद्र सिंह ने एक बयान में कहा कि उनकी स्थिति के और मूल्यांकन की जरूरत थी. उन्हें निगरानी में रखा गया है और फिलहाल उनकी हालत स्थिर है. सिद्धू को सुबह पटियाला की एक जेल से PGI चंडीगढ़ लाया गया.
34 साल पुराने रोड रेज केस में सजा काट रहे हैं सिद्धू
सिद्धू के लिवर में इंफेक्शन है. वे इस वक्त पटियाला सेंट्रल जेल में एक साल कैद की सजा काट रहे हैं. सिद्धू को 34 साल पुराने रोड रेज केस में सुप्रीम कोर्ट से एक साल की सजा हुई. उन्हें कल कड़ी सुरक्षा में पटियाला जेल से PGI लाया गया. डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल में जुटी हुई है. बता दें कि उन्हें सश्रम कारावास की सजा हुई है. ऐसे में उन्हें जेल ऑफिस का काम सौंपा गया है. वे बैरक में रहकर ही फाइलें देखेंगे. सिद्धू को अभी काम के बदले कोई वेतन नहीं मिलेगा. अभी वह अकुशल कर्मचारी हैं. 3 महीने बाद उन्हें अर्धकुशल होने पर 30 रुपए प्रतिदिन और फिर कुशल होने पर 90 रुपए प्रतिदिन दिए जाएंगे.
गौरतलब है कि इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद को लिवर की प्रॉब्लम बताकर स्पेशल डाइट भी मांगा था. उन्होंने कहा था कि उन्हें गेहूं से भी एलर्जी है. जिसके बाद उनकी मेडिकल जांच की गई थी, जिसमें पंजाब के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को फैटी लीवर की समस्या से पीड़ित पाया गया. इसके बाद मेडिकल बोर्ड ने उनके लिए खास डाइट प्लान दिया. जिसमें उन्हें लो फैट हाई फाइबर खाने की सलाह दी गई है. सिद्धू ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए जेल की दाल-रोटी खाने से इनकार कर दिया था.
सिद्धू को इस तरह के डाइट की सलाह
सिद्धू के लिए वेजिटेबल सूप, खीरा, चुकंदर और जूस की सिफारिश की गई है. इसके अलावा गेहूं की जगह बाजरे की रोटी दी जा सकती है. सिद्धू की डाइट से कार्बोहाइड्रेट्स को पूरी तरह से हटाया गया है. सिद्धू ने दावा किया कि उन्हें गेहूं की रोटी से एलर्जी है, इसलिए वह जेल की रोटी नहीं खा रहे हैं और केवल सलाद से गुजारा कर रहे हैं. यही वजह है कि सिद्धू ने जेल प्रशासन से स्पेशल डाइट की मांग की. हालांकि मेडिकल जांच में यह सामने आया है कि सिद्धू को गेहूं से एलर्जी नहीं है. हालांकि वजन घटाने के लिए जरूरी है कि वह गेहूं की रोटी नहीं खाएं.
1988 में पार्किंग को लेकर हुए विवाद में हुई थी बुजुर्ग गुरनाम सिंह की मौत
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू का 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में पार्किंग को लेकर विवाद हुआ था, जिसमें एक बुजुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी. आरोप है कि सिद्धू और 65 वर्षीय गुरनाम सिंह के बीच हाथापाई भी हुई थी. पुलिस ने इस घटना में नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 1000 रुपए का जुर्माना लगाकर उन्हें बरी कर दिया था. पीड़ित पक्ष ने इसे लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या में 3 साल कैद की सजा सुनाई थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गैर इरादन हत्या में बरी कर दिया था, लेकिन चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था.
नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पक्ष में दिए थे ये तर्क
पीड़ित पक्ष की ओर से पुनर्विचार याचिका लगने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने एफिडेविट दाखिल किया था कि पिछले 3 दशक में उनका राजनीतिक और खेल करियर बेदाग रहा है. राजनेता के तौर पर उन्होंने न सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र अमृतसर ईस्ट बल्कि सांसद के तौर पर बेजोड़ काम किया है. उन्होंने लोगों के भले के लिए कई काम किए हैं. उनसे कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ और उनकी मरने वाले से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाए. उन्हें दी गई 1 हजार जुर्माने की सजा पर्याप्त है. इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा. सुनवाई के दौरान लोअर कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते 1999 में बरी कर दिया था. इसके बाद पीड़ित पक्ष निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया. साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को 3 साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.
सिद्धू को एक साल की सजा
इस फैसले को दोनों आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को पीड़ित के साथ मारपीट मामले में दोषी करार देते हुए हजार रुपए का जुर्माना लगाया था. इसी मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल जेल की सजा सुनाई. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले के खिलाफ पीड़ित गुरनाम सिंह के परिवार द्वारा पुनर्विचार याचिका की अनुमति दी थी. शीर्ष अदालत ने सिद्धू की सजा को बढ़ाकर एक साल कर दिया था.
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