सक्ती. छत्तीसगढ़ के नवीन जिला सक्ती में जिला मुख्यालय की मांग को लेकर नगरवासियों की मांग अब उग्र होती दिख रही है. अधिकारियों के साथ हुई तीन बार की बातचीत बेनतीजा निकली. जिला प्रशासन जिला कार्यालय सक्ती से 10 किमी दूर जेठा में बनाने में अड़ा है. जिसके बाद अब सक्ती नगर के सर्व समाज के लोग व्यापारी संघठन,अधिवक्ता और पत्रकार संघ के लोग कल से नगर बंद और काले झंडे लगाकर आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं.

सक्ती विधायक डॉ महंत से मिला था आश्वासन

बता दें कि, करीब 5 माह पहले नगर के सर्व समाज, व्यापारी,अधिवक्ता एवं पत्रकार संघ से एक दल सक्ति विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत से मिलने गए थे, तब डॉ. महंत ने नगर के लोगों को आश्वासन भी दिया था कि, नगर के लोगों की मांग के अनुरूप जिला मुख्यालय बनाया जाएगा. मगर जिला प्रशासन ने रातों-रात अस्थाई जिला मुख्यालय को सक्ती से 10 किमी दूर बनाने का आदेश जारी कर दिया है. जिसके बाद से नगर के लोगों मे आक्रोश पैदा हो चुका है.

क्या कहते हैं सक्ती नगर के लोग

सक्ती नगर के लोगों का कहना है कि, सक्ती को जिला बनाने के लिए पिछले 22 साल से वो संघर्ष कर रहे हैं, ताकि सक्ती के जिला बनने पर यहां हर वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिले. मगर जनभावना के विपरीत जिला मुख्यालय को नगर से 10 किमी दूर बनाया जा रहा है, जिससे आस पास के लोगों को अपने कार्य के लिए जेठा जाना पड़ेगा. ऐसे में सक्ती को जिला बनाने का क्या औचित्य है.

जानिए क्या कहते है नगर के बुद्धिजीवी

नगर के जानकारों की माने तो सक्ती नगर के आस पास 2 से 3 किमी में दर्जनों भवन हैं और सेकड़ों एकड़ शासकीय जमीन है. जिसमें आसानी से जिला मुख्यालय की स्थापना की जा सकती है. बावजूद नगर से 10 किमी दूर जेठा में कलेक्टर कार्यालय और एसपी कार्यालय बनाना समझ से परे है. इसके पीछे बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र लग रहा है. अधिकारी भी पूर्वनियोजित तरीके से केवल जेठा में बनाने की बात अलाप रहे हैं. मानो उन्हें जनता की मांग से कोई मतलब नहीं, सक्ती में जिला मुख्यालय बनने से नगर का उद्धार हो सकता है. यहां संचालित कई अवैध कारोबार बंद हो जाएंगे, जो शायद यहां के नेता नहीं चाहते.

छात्रों ने भी किया जेठा में मुख्यालय का विरोध

जेठा में जिला मुख्यालय बनाए जाने को लेकर जेठा में संचालित शासकीय कॉलेज क्रांति कुमार महाविद्यालय के छात्रों ने भी इसका विरोध किया है. क्योंकि कलेक्टर ऑफिस के लिए कॉलेज भवन को अधिग्रहण कर छात्रों को कॉलेज से वंचित किया जा रहा है. जिसका छात्र संघ भी विरोध कर रहे हैं.

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