लखनऊ. डाक्टरों को भगवान का दूसरा अवतार कहा जाता है. डाक्टरों के पास इंसान को जिंदगी देने का हुनर होता है लेकिन डाक्टर ही अगर संवेदनहीन हो जाए तो लाचार औऱ परेशान हाल मरीज कहां जाएगा. उत्तर प्रदेश के झांसी में डाक्टरों ने ऐसा कारनामा किया की लोगों की रुह कांप जाए.
झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज में डाक्टरों ने एक मरीज का कटा पैर उसके सिरहाने पर तकिये के तौर पर रख दिया. जब तीमारदारों ने ये दृश्य देखा तो उन्होंने हंगामा कर दिया. घटना की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और हंगामा बढ़ता देख प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कुछ डाक्टरों को निलंबित कर सदियों से चली आ रही परंपरा निभाकर अपने दायित्व से छुट्टी पा ली.
दरअसल झांसी के इटायल गांव का रहने वाला घनश्याम राजपूत स्कूल बस में क्लीनर है. वह स्कूल बस में बच्चों को छोड़ने स्कूल जा रहा था कि थोड़ी दूर जाकर बस पलट गई औऱ घनश्याम के दोनों पैर बस के नीचे कुचल गए. जिसके बाद क्लीनर को झांसी मेडिकल कालेज भेजा गया. जहां कुछ लोगों ने देखा कि मरीज का कटा हुआ पैर डाक्टरों ने उसी के सिर के नीचे तकिए की तरह लगा दिया है. इसके बाद तीमारदारों ने डाक्टरों की संवेदनहीनता पर हंगामा करना शुरु कर दिया.
स्वास्थ्य मंत्री के आदेश के बाद चार डाक्टरों और कई स्टाफ को निलंबित कर दिया गया है लेकिन इस घटना ने ढेर सारे सवाल अपने पीछे छोड़ दिए हैं. आखिर डाक्टरों के पेशे में इस किस्म की संवेदनहीनता अगर घर कर जाएगी तो मरीजों औऱ बेबस लोगों का क्या होगा. सोशल मीडिया पर इस घटना की खूब आलोचना औऱ लानत-मलामत हो रही है. सवाल फिर भी वही है कि डाक्टरों को थोड़ा सा संवेदनशील होने में और कितना वक्त लगेगा.