Good News for Diabetes Patients: डायबिटीज मरीजों (Diabetes Patients) के लिए राहतभरी खबर है. उन्हें अब रोज इंसुलिन लगाने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी. अब एक बार लगने वाली इंसुलिन से हफ्तेभर की फुरसत हो जाएगी.

 अमेरिका में बेसल इंसुलिन के नए सॉल्ट का प्रयोग सफल हो गया है, इसी साल भारत में यह बाजार में आ जाएगी. डायबिटीज एसोसिएशन की ग्लोबल कांफ्रेंस में शामिल डॉक्टरों के मुताबिक शुगर रोगियों के लिए नए-नए शोधों को दुनियाभर के डॉक्टरों ने कॉन्फ्रेंस पटल पर रखा. इंसुलिन पर लंबे चले वैज्ञानिक सत्रों में सामने आया कि अब डायबिटीज रोगियों को तनाव लेने की जरूरत नहीं है. आने वाले चंद सालों में तरह-तरह की इंसुलिन आने वाली हैं. डायबिटीज से पीड़ित (Diabetes Patients) रोगियों को हर दिन एक बार बेसल इंसुलिन लगाना पड़ता है, लेकिन नई बेसल इंसुलिन भारतीय बाजार में आने जा रही है, जिस लगाने पर सात दिन की राहत मिलेगी.

Diabetes Patients के लिए स्मार्ट इंसुलिन भी आएगी

डॉक्टरों के मुताबिक, कॉन्फ्रेंस में स्मार्ट इंसुलिन का शोध पत्र भी सामने रखा गया, जिसके अनुसार एक पैच पेट में लग जाएगा और जब आप खाना खाएंगे तो पैच में लगे महीन कांटों के सहारे इंसुलिन रिलीज हो जाएगी. जब तक आप खाएंगे नहीं, इंसुलिन रिलीज नहीं होगी. यह सब कुछ ऑटोमेटिक मोड में होगा. उन्होंने बताया कि ओरल इंसुलिन पर भी दुनिया में अमेरिका, कनाडा के साथ यूरोप के कई देशों में शोध हो रहे हैं लेकिन वर्ष 2024 के बाद के बाद ही कोई रिजल्ट सामने आएगा.

क्या है बेसल इंसुलिन

इंसुलिन लेने के दो तरीके हैं. पहला बोलस और दूसरा बेसल. बोलस से खुराक लेने पर तुरंत राहत मिलती है, इसे खाने के पहले लिया जाता है. बेसल से खुराक लेने पर लंबे समय पर ब्लड ग्लूकोज लेवल सामान्य रहता है. इसमें ग्लूकोज लेवल सुबह से रात तक नियंत्रित रहता है. बेसल इंसुलिन का काम ब्लड ग्लूकोज लेवल को मेंटेन रखना है, खासतौर पर व्रत व सोते समय. जब कोई व्रत करता है तो लिवर ग्लूकोज निकालता है, जो रक्त कोशिकाओं से होते हुए शरीर में जाता है. बेसल इंसुलिन ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल में रखता है. 24 घंटे में शरीर में मौजूद पैंक्रियाज इंसुलिन की नियमित मात्रा तैयार करता है. बेसल इंसुलिन इसी की नकल कर शरीर में उतनी ही इंसुलिन की मात्रा का प्रवाह करता है, जितना जरूरी होता है.