रायपुर. सूर्य की मिथुन संक्रांति इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसके बाद से ही वर्षा ऋतु शुरु हो जाती है. इसे रज संक्रांति के नाम से भी जानते हैं. मिथुन संक्रांति हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों में से एक है. जिसे वर्ष के तीसरे माह के शुरुवात के रूप में मनाया जाता है. वर्ष में आने वाले 12 संक्रांति को दान-पुण्य आदि के सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार यह वर्ष का तीसरा माह होता है और इस दिन सूर्य वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करता है. जिस कारण इसे मिथुन संक्रांति कहा जाता है. इस परिवर्तन से बहुत से अच्छे और बुरे प्रभाव आते है इसलिए इस दिन पूजा का बहुत खास महत्व होता है.

सूर्य पूजा और दान का महत्व

स्कंद और सूर्य पुराण में ज्येष्ठ महीने में सूर्य पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस हिंदू महीने में मिथुन संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. इसके साथ ही निरोगी रहने के लिए विशेष पूजा भी की जाती है. सूर्य पूजा के समय लाल कपड़े पहनने चाहिए. पूजा सामग्री में लाल चंदन लाल फूल और तांबे के बर्तन का उपयोग करना चाहिए. पूजा के बाद मिथुन संक्रांति पर दान का संकल्प लिया जाता है. इस दिन खासतौर से कपड़े अनाज और जल का दान किया जाता है.

मिथुन संक्रांति की परंपराएं

  • हिन्दू धर्मानुसार मिथुन संक्रांति के दिन कपडें उपहार और दान में देने का बहुत खास महत्व होता है.
  • इस दिन लोग भगवान विष्णु और धरती माँ की पूजा करते है.
  • धरती माँ के रूप एक पत्थर को तरह-तरह के फूलों और सजावट की अन्य वस्तुओं से सजाया जाता है. ऐसा वर्षा ऋतु के आगमन की तैयारियों के रूप में किया जाता है.
  • इस दिन की जानें वाली अन्य परंपराओं में से एक है राजा परबा. जिसमें लड़कियां बरगद के पेड़ पर झूले डालकर झुला झूलती है और गानें गाती है.
  • मिथुन संक्रांति विशेषकर जरुरतमंदों को कपडें दान में देने के लिए जानी जाती है.
  • इस दिन चावल का सेवन करना निषेध माना जाता है.

मिथुन संक्रांति 2022

मिथुन संक्राति 15 जून बुधवार को है. इस दिन संक्रांति का समय दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर है. सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. उनके प्रवेश करते ही मिथुन संक्रांति शुरू हो जाएगी. इसी दिन महा पुण्यकाल दोपहर बाद 12:18 से शुरू होकर 2:38 तक मान्य है. महा पुण्यकाल की कुल अवधि 2 घंटा 20 मिनट है.

मिथुन संक्रांति में सूर्य देव की पूजा की जाती है ताकि आने वाले जीवन में शांति और मंगल का आगमन हो. उड़ीसा में इस दिन को त्यौहार की तरह मनाया जाता है जिसे राजा परबा कहा जाता है. इस दिन विशेष रूप से पोड़ा-पीठा नाम की मिठाई बनाई जाती है. यह गुड़, नारियल, चावल के आटे व घी से बनती है. इस दिन चावल नहीं खाया जाता है.

चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व वर्षा ऋतू के आगमन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन अविवाहित लड़कियां सुन्दर कपडे और गहनें पहनती है जबकि विवाहित महिलाएं इस दिन घर के काम-काज से छुट्टी लेकर घर में उत्सव मनाती है.