पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। सॉफ्टवेयर में खामियों के वजह से ठगों ने किसान निधि के आड़ में केंद्र सरकार के खजाने में सेंध मार लिया. अकेले गरियाबन्द में 70 हजार बोगस पंजीयन मिले, जिन्हें योजना से 2 करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी हो चुका है. सॉफ्टवेयर में दर्ज पते पर किसान भी नहीं मिले इसलिए वसूली भी नहीं हो सकती. योजना का लाभ लेने वाले 659 किसान आयकर दाताओं से 45 लाख की वसूली हो रही है.

पीएम किसान निधि के पंजीयन प्रक्रिया में खामियों के चलते बोगस पंजीयन खातों के जरिए शातिरों ने 2 करोड़ रुपए से ज्यादा बड़ी रकम का चूना केंद्र सरकार को लगाया है. गड़बड़ी का खुलासा lalluram.com ने कई माह पहले कर दिया था, तब इसे प्रशासन ने हल्के में लेकर कई महीनों बाद जांच शुरू किया. बताया था कि गरियाबन्द जिले के लगभग 200 किसानों का बैंक खाता व आधार नम्बर का इस्तेमाल कर उन्हें जांजगीर जिले के विभिन्न गांव का किसान बताया गया है. गिरोह के कुछ सदस्य जब गांव में घूम-घूम कर यह काम कर रहे थे, तब शंका के आधार पर हमने पीएम पोर्टल में किसानों के आधार नम्बर डाला तो मामले का खुलासा हुआ था.

सॉफ्टवेयर में खामी को बनाया सेंधमारी का रास्ता

पीएम किसान निधि योजना की शुरुआत 2019 में हुई थी. आयकरदाता, कर्मचारी, पेंशन भोगी या ऐसे किसान जो सरकारी सेवा में है, उन्हें छोड़ कर सभी किसानों को प्रति हेक्टेयर सालाना 15 हजार सम्मान निधि के तौर पर देना था. योजना का एक एप तैयार किया गया. शुरुआती दौर में इसका पंजीयन तहसील कार्यालय फिर कृषि कार्यालय में साथ-साथ होने लगा. वर्क लोड बढ़ा तो चॉइस सेंटरों में भी पंजीयन की अनुमति जारी कर दिया गया. एप में किसान का नाम, आधार, बैंक खाता व किसान किताब का नम्बर डालते ही पंजीयन हो जाता था. पंजीयन से पहले रकबे का मालिक के आधार कार्ड व खाते का सत्यापन नहीं होता था. इसी खामी को जरिया बना कर ठगों ने पीएम के कोष में सेंधमारी कर दी.

98755 बोगस पंजीयन

राजस्व रिकार्ड के मुताबिक, जिले में कुल 1 लाख 27 हजार किसान हैं, जिन्हें किसान किताब आबंटित हैं. वहीं पीएम किसान सम्मान निधि योजना में 2 लाख 1455 किसानों का पंजीयन हुआ है, यानी 98755 किसान पीएम योजना के लिए कहां से आ गए इसकी तलाश जरूरी है. विगत 5 माह से कृषि विभाग के सत्यापन में 69 हजार बोगस पंजीयन का पता चला है, जिसमें 37 हजार नाम मैनपुर तहसील, तो देवभोग में 15 हजार से ज्यादा नाम मिले. कृषि विभाग की टीम पोर्टल से सूची निकाल कर किसानों का सत्यापन किया. सार्वजनिक स्थलों में नाम पढ़ा गया तो उस नाम के किसान नहीं मिले. जिस तरह से देवभोग के आधार व बैंक पासबुक का उपयोग जांजगीर चाम्पा के किसानों के लिए किया गया था, उसी तर्ज पर यहीं के ऋण पुस्तिका व रकबों में दूसरे किसानों का नाम डाल कर पंजीयन किया गया है.

उच्चाधिकारियों से मांगा मार्गदर्शन

उपसंचालक संदीप भोई ने बताया कि जिनके पता का मिलान हुआ है, उनसे वसूली शुरू कर दी गई है. आयकरदाता किसान भी अपात्र थे, उनसे 45 लाख की वसूली होनी है. मामले में अन्य बोगस पंजीयन पर वसूली के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिख मार्गदर्शन मांगा गया है.

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