अंकुर तिवारी, बस्तर-  उत्तर बस्तर के कांकेर और नारायणपुर ज़िले में स्थित रावघाट की पहाड़ियों में लौह अयस्क के छह ब्लॉक हैं, जिनमें 712.48 मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान है. लौह अयस्क निकालने की रावघाट परियोजना के लिए राज्य की भाजपा सरकार ने आदिवासी किसानों की जमीन अधिग्रहण किया है. उसके बाद भी पिछले नौ वर्षों में किसानों को नौकरी नहीं मिल पाई है. अपनी जमीन देकर सरकार की मक्कारी का शिकार हुए किसानों की हालत दयनीय बनी हुई है, जबकि रावघाट परियोजना में आदिवासियों के अधिकार के किसी भी क़ानून का पालन नहीं किया गया है. प्रभावित परिवारों के मुताबिक न किसानों से सहमति ली गई और न ही उनके विस्थापन की दिशा में कोई प्रयास किये गए है. पिछले कई दिनों से नौकरी की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक पर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे 150 किसानों को गुरुवार की सुबह पुलिस-प्रशासन ने जबरन उठाकर अस्थाई जेल में डाल दिया है. किसानों पर हुए पुलिसिया कार्रवाई के पिछे गुदुम से भानुप्रतापपुर के बीच रेलवे ट्रैक पर इंजन का ट्रायल करना बताया जा रहा है.

दल्लीराजहरा रावघाट रेलवे परियोजना काम जब शुरू हुआ तब कुल 479 किसानों की जमीन अधिग्रहण करते कहा गया था मुआवजा के साथ प्रत्येक प्रभावित किसानों के परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी. रेल परियोजना का कार्य भानुप्रतापपुर तक पूरा हो चुका है. जमीन अधिग्रहण किए 9 वर्ष बीत गए लेकिन मात्र 18 प्रभावितों को ही रेलवे, 53 को बीएसपी कुल 71 को नौकरी मिली. बाकी 408 किसान परिवारों के सदस्यों नौकरी नहीं मिल पाई है. मंगलवार को किसानों के प्रतिनिधी मंडल से कांकेर के कलेक्टर टामन सिंह सोनवानी, डीआईजी पुलिस रतनलाल डांगी, एसपी कन्हैयालाल ध्रुव, भिलाई स्टील प्लांट माइंस के जीएम एके मिश्रा ने बातचीत की थी. हर बार की तरह इस बार भी जिला प्रशासन ने किसानों को आश्वासन देकर दिल्ली में 16 मार्च को बैठक होने की बात कही.

लेकिन, भिलाई स्टील प्लांट के एक अफसर का दावा है कि हमारे हिस्से में 133 लोगों को नौकरी देना है जिसमें से 53 को नौकरी दे चुके हैं. शेष ट्रेनिंग कर रहे हैं जिन्हें ट्रेनिंग पूरा होते ही नौकरी दी जाएगी. बाकी लोगों को रेलवे द्वारा नौकरी देना है. जबकि किसानों से बातचीत करने के लिए रेलवे का एक भी अधिकारी मौजूद नहीं था. इससे नाराज किसानों ने कहा कि आश्वासन बहुत हो चुका. अब आंदोलन तभी खत्म होगा जब उनके हाथों में नियुक्ति आदेश मिलेगा.

भानुप्रतापपुर के विधायक मनोज मंडावी का कहना है कि रावघाट परियोजना के लिए सारे क़ानून किनारे कर दिए गए हैं. इस खनन परियोजना से प्रभावित होने वाले 35 गांवों के आदिवासियों के सामने आजीविका सबसे बड़ा संकट है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन ने किसानों को भूमि अधिग्रहण का मुआवजा भी ठीक ढंग से नहीं दिया गया है. पुलिस सरकारी आदेश पर किसानों पर दमनात्मक रवैया अपना रही है. और ये गलत है, किसानों के साथ अत्याचार नहीं होना चाहिए. बल्कि प्रभावित आदिवासी किसान परिवारों को नौकरी और उचित मुआवजा मिलना चाहिए.