इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार 1 जुलाई से New Labour Code लागू कर सकती है. इसमें काम के घंटे, वेतन, PF में बड़े बदलाव हो सकते हैं. बता दे कि इस नए नियम को संसद पारित कर चुकी है लेकिन राज्य सरकारों को इन नियमों की अधिसूचना जारी करना बाकी है.
अब तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, मणिपुर, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों सहित 23 राज्यों ने नए श्रम कानूनों के तहत नियम बनाए हैं.
भारत सरकार के 29 केंद्रीय New Labour Code को 4 कोड में बांटा गया है. इन 4 कोड में वेतन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा आदि से संबंधित 4 कोड शामिल हैं. आपको ये भी बता दे कि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं आई है. पढ़िए नया नियम क्या कहता है.
काम करने के घंटे
नए श्रम कानूनों के अनुसार, दैनिक काम के 12 घंटे और साप्ताहिक काम के घंटे 48 घंटे तय किए गए हैं. इसका मतलब है कि कंपनियां/कारखाने इसे चार दिन का कार्य सप्ताह बना सकते हैं. सभी उद्योगों में एक तिमाही में ओवरटाइम 50 घंटे से बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है.
कर्मचारियों की वेतन संरचना
New Labour Code में सुझाव है कि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ग्रास सैलरी का कम से कम 50% होना चाहिए. जिससे कर्मचारियों का EPF खातों में योगदान बढ़ जाएगा और ग्रैच्युटी कटौती भी बढ़ेगी जिससे अधिकांश कर्मचारियों के घर ले जाने के वेतन में कमी आएगी.
छुट्टियों की संख्या
एक साल में छुट्टी की संख्या वही रहेगी, लेकिन कर्मचारियों को अब 45 के बजाय हर 20 दिनों के काम पर छुट्टी मिलेगी, जो एक अच्छी खबर है. इसके अलावा, नए कर्मचारी 240 दिनों के काम के बजाय 180 दिनों के रोजगार के बाद अवकाश अर्जित करने के पात्र होंगे जैसा कि अभी लागू है.
भविष्य निधि योगदान (EPFO)
एक और बड़ा बदलाव जो नए श्रम कानून के तहत आने वाला है, वह है टेक होम सैलरी और कर्मचारियों और नियोक्ता के प्रॉविडेंट फंड में योगदान का अनुपात. कर्मचारी का मूल वेतन सकल वेतन का 50% होना चाहिए. कर्मचारी और नियोक्ता का पीएफ योगदान बढ़ेगा, टेक होम सैलरी घटेगी, खासकर निजी क्षेत्रों में काम करने वालों की.
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