नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत दूर करने और 24 घंटे जलापूर्ति सुनिश्चित करने की योजना पर केजरीवाल सरकार जोर-शोर से काम कर रही है. मानसून के दौरान यमुना नदी में बाढ़ के जरिए आने वाले पानी को संजोकर ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने की दिल्ली सरकार की ‘पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना’ मील का पत्थर साबित हुई है. दिल्ली में पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के चलते भूजल स्तर में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है. साल 2019 से लेकर 2021 तक पिछले 3 सालों में औसतन करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हुआ है. ऐसे में परियोजना के सफल नतीजों को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को इस साल भी जारी रखने का फैसला लिया है.
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मनीष सिसोदिया ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ की बैठक
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह परियोजना 40 एकड़ में फैली है, जिसमें से 26 एकड़ में एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है, जिसका उपयोग दिल्ली में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार साल 2020 और 2021 में प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीजन के दौरान की गई स्टडी में यह पाया गया कि इस परियोजना के चलते ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होकर यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है, जिससे पूरे दिल्ली का भूजल स्तर बेहतर हो रहा है. अब करीब 1000 एकड़ क्षेत्रफल के प्रोजेक्ट से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज किया जाएगा.
ग्राउंड वॉटर रिचार्ज यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है
राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी में मानसून के दौरान लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिसमें करोड़ों लीटर पानी यमुना से होते हुए बह जाता था. ऐसे में दिल्ली ने 3 साल पहले मानसून के मौसम में नदी से गुजरने वाले इस अतिरिक्त बाढ़ के पानी को इकट्ठा करने के लिए यमुना नदी के पास मौजूद बाढ़ के मैदान में पर्यावरण के अनुकूल पल्ला प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इसके तहत 26 एकड़ का एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है. इसका इस्तेमाल राजधानी में भूजल को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. भूजल स्तर में बढ़ोतरी की मात्रा का पता लगाने के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं. पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ के पानी का संचय करना है, ताकि साल भर इस संचित किए गए पानी का इस्तेमाल भूजल स्तर को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके.
चौथे साल भी प्रोजेक्ट को जारी रखा जाएगा
दिल्ली में पिछले 10 सालों में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के शुरू होने के बाद भूजल स्तर आधे से 2 मीटर तक बढ़ा है. ये नतीजे उत्साहित करने वाले हैं. इस सफल नतीजे के आधार पर इस प्रॉजेक्ट को अब एक साल ओर जारी रखने का फैसला लिया गया है. जहां वर्तमान में करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है.
बारिश में बह जाने वाला लाखों गैलन पानी अब नहीं बहेगा
मनीष सिसोदिया के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 1000 एकड़ तक बढ़ने से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो सकेगा. इसी के साथ यह प्रोजेक्ट सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश के सूखाग्रस्त और पानी की किल्लत झेल रहे राज्यों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण साबित होगा. उन्होंने बताया कि पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना केजरीवाल सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है. पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस स्ट्रेच पर प्राकृतिक तौर पर गड्ढे (जलभृत) बनाए गए हैं. मानसून या बाढ़ आने पर पानी इसमें भर जाता है. नदी का पानी जब उतरता है, तो गड्ढों में पानी बचा रहता है. जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वो व्यर्थ नहीं बहेगा.
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डेनमार्क और सिंगापुर के साथ मिलकर ग्राउंड वॉटर रिचार्ज की संभावनाएं तलाशेगी दिल्ली सरकार
केजरीवाल सरकार दिल्ली को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है. इसे लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वैन से मुलाकात की थी. साथ ही डेनमार्क के वर्षा जल संरक्षण मॉडल को समझा था. इस दौरान फ्रेडी स्वैन ने बताया था कि कैसे वर्षा जल को संरक्षित कर डेनमार्क ने स्वयं को पानी के लिए आत्मनिर्भर बनाया है. सरकार डेनमार्क के उन मॉडल को दिल्ली में भी अपनाने का विचार कर रही है. केजरीवाल सरकार ऐसे समाधान को लागू करने के इच्छुक हैं, जिससे कि हम इस मानसून से ही ग्राउंड वॉटर रिचार्ज कर सकें और उसके संरक्षण के दायरे का विस्तार कर सकें.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिंगापुर के उच्चायुक्त से भी की थी मुलाकात
इसके अलावा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग से भी मुलाकात की थी. इस दौरान दिल्ली में ग्राउंड वॉटर रिचार्ज और उसके निकासी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक समाधान लागू करने को लेकर चर्चा की थी. साइमन वोंग ने कहा था कि दिल्ली और सिंगापुर दोनों ही दो विशिष्ट शहरी केंद्र हैं, जिनकी समस्याएं भी एक जैसी हैं. ऐसे में दिल्ली और सिंगापुर के बीच विशेष रूप से पानी, पर्यावरण, सार्वजनिक आवास और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग की बहुत बड़ी गुंजाइश है.
3 वर्षों में पल्ला पायलट प्रोजेक्ट से भूजल रिचार्ज के आंकड़े
- साल 2019- 854 मिलियन लीटर
- साल 2020- 2888 मिलियन लीटर
- साल 2021- 4560 मिलियन लीटर
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