रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय में नरवा विकास योजना के अंतर्गत वन क्षेत्रों में कैंपा मद से किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि नरवा विकास योजना के अंतर्गत नालों में जल संरक्षण एवं संवर्धन के किए जा रहे कार्यों को वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए. नरवा विकास के कार्यों के फलस्वरुप जल स्तर में होने वाले सुधार का आंकलन भी वैज्ञानिक पद्धति से रिमोट सेंसिंग सैटलाइट के जरिए किया जाए. प्रदेश में जिन नालों का उपचार किया गया है, उन्हें दर्शाने वाले नक्शा भी तैयार किया जाना चाहिए.
सीएम बघेल ने बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ का सैटेलाइट नक्शा उपलब्ध है, इसमें जहां-जहां फ्रैक्चर है, वहां पर भू जल संवर्धन संरचनाएं तैयार की जानी चाहिए. इससे जल का भूमि में अच्छे ढंग से रिसाव हो सकेगा. उन्होंने नरवा उपचार के कार्यों से मिट्टी के क्षरण में आ रही कमी का आंकलन करने के भी निर्देश दिए.
पर्यावरण सुधार में नरवा विकास योजना कारगर
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी से गांव-गांव में रोजगार सहित आर्थिक गतिविधियांें को अच्छी गति मिली है. इनमें खासकर जल संचयन तथा जैव और पर्यावरण सुधार में नरवा विकास योजना एक कारगर माध्यम साबित हो रहा है. भूजल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हो रही है. इसके तहत मैदानी क्षेत्रों से भी अधिक वनांचल में नरवा विकास योजना से भू-जल स्तर में 20 से 30 सेंटीमीटर की वृद्धि के साथ उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं. इससे वनांचल में वन्य प्राणियों के रहवास में सुधार सहित निस्तारी तथा सिंचाई आदि सुविधाओं का भी लोगों को भरपूर लाभ मिलने लगा है.
वन क्षेत्रों के जल स्तर में हुई वृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा विकास के कार्यों से वन क्षेत्रों में भूमिगत जल के स्तर में 20 से 30 सेंटीमीटर और मैदानी क्षेत्रों में 7 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है. उन्होंने नालों में भू जल संवर्धन संरचनाओं के निर्माण के दौरान वहां की भूमि की किस्म का विशेष रूप से ध्यान रखने के भी निर्देश दिए. सीएम बघेल ने कहा कि रेतीली जगहों में डाइक वाल काफी उपयोगी हो सकती है. उन्होंने भेंट मुलाकात अभियान के दौरान सूरजपुर जिले के भ्रमण का उल्लेख करते हुए कहा कि सूरजपुर में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे है, वहां नरवा विकास के कार्य करने की जरूरत है.
मनरेगा से नालों की मरम्मत कराने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रों में नरवा विकास के कार्य किए जा रहे हैं, वहां ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों को कार्यक्रम से जोड़कर उन्हें इन कार्यों की उपयोगिता की जानकारी दी जाए. हर 2 वर्ष में भू-जल संवर्धन स्ट्रक्चर, स्टॉप डेम, चेक डैम बांधों में डिसिल्टिंग का कार्य कराया जाए, इससे पानी का भराव अच्छा होगा और उनकी सिंचाई क्षमता भी बढ़ेगी. उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत भी नालों के ट्रीटमेंट का कार्य कराने के निर्देश दिए.
2 हजार 800 नालों की हो चुकी मरम्मत
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि राज्य में लगभग 30 हजार बरसाती नालों को चिन्हांकित किया गया है, जिसमें से 8000 नाले राज्य के वन क्षेत्रों में स्थित हैं. वन क्षेत्रों में स्थित 6 हजार 395 नालों का उपचार 01 हजार 290 करोड़ की लागत राशि से कराया जा रहा है, जिसमें से अब तक लगभग 2 हजार 800 नालों का उपचार पूरा हो चुका है. इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष देवेन्द्र बहादुर सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहूू सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.
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