
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना पार्टी का कलह सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. एकनाथ शिंदे गुट ने विधायकों को नोटिस और विधायक दल के नेता के पद से हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखे सवाल किए. जज ने सवाल किया कि इस मसले पर आप हाईकोर्ट क्यों नही गए. वहीं दूसरी ओर शिंदे गुट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर ने विधायकों को नोटिस देने में नियमों का पालन नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट में चल रही शिवसेना की लड़ाई हाई प्रोफाइल हो चुकी है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अदालत में शिंदे गुट की ओर से नामी वकील हरीश साल्वे के अलावा पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी पैरवी कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी जिरह कर रहे हैं. डिप्टी स्पीकर की ओर से रविशंकर जंध्याला पक्ष रख रहे हैं. शिंदे गुट ने अपनी याचिका में 38 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए कहा कि इन्होंने महा विकास अघाड़ी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. ऐसे में एमवीए सरकार ने बहुमत खो दिया है.
इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को बागी मंत्रियों पर बड़ी कार्रवाई की है. बागी आठ मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए गए हैं, वहीं दूसरे मंत्रियों को छीने गए विभागों की जिम्मेदारी दी गई है. एकनाथ शिंदे का नगर विकास मंत्रालय उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को सौंप दिया गया है. इसके अलावा गुलाबराव पाटिल का जल संपदा विभाग परिवहन मंत्री अनिल परब को दिया गया है. कृषि मंत्री रहे दादा भूसे का मंत्रालय अब सदीपान आसाराम भूमरे को और उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग उदय सामंत से छिनकर आदित्य ठाकरे को सौंप दिया गया है.
संजय राउत को ईडी का समन
महाराष्ट्र में छाए सियासी संकट के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवसेना नेता संजय राउत को समन भेज 28 जून को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया है. जमीन घोटाले पर दिए गए इस समन पर संजय राउत ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें पहले ही इस बात की आशंका थी. इसके साथ ही उन्होंने कल अलीबाग में होने वाली सभा का हवाला देते हुए एक तरह से समन पर ईडी के सामने पेश होने से इंकार कर दिया है.