शब्बीर अहमद/राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। एमपी में पंचायत चुनाव जारी है। पंतायत चुनाव में सरकार ने महिला सशक्तीकरण के लिए 50 फीसदी आरक्षण दिया है। लेकिन सरकार की आरक्षण (Reservation) प्रक्रिया का माखौल उड़ाया जा रहा है। चुनाव में प्रत्याशी महिला है लेकिन प्रचार और पोस्टरों से गायब है। पोस्टरों और बैनर पर महिला प्रत्याशी की जगह पति या फिर बेटे का फोटो लगा हुआ है। चुनाव प्रचार करने पति या परिवार के सदस्य करने जनता के बीच पहुंच रहे हैं। यहां तक की चुनावी रणनीति भी पतियों के पास है। ये सिर्फ एक पंचायत या जिले का मामला नहीं है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में यही नजारा अभी दखने को मिल रहा है। महिलाएं चुनाव प्रचार में सिर्फ शो-पीस बनकर रह गई हैं।
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महिला उम्मीदवार के चुनाव प्रचार के लिए एक बैनर बनवाया गया है। बैनर में चुनाव चिन्ह भी है, लेकिन प्रत्याशी जगह उसकी पति की फोटो है। मतदाताओं से जिताने की अपील की गई है लेकिन असल उम्मीदवार की तस्वीर नदारद है। पंचायत चुनाव में महिला सीटों पर भी महिलाओं का ही वर्चस्व दरकिनार है।
रायसेन जिले की बेगमगंज जनपद पंचायत में यही नजारा देखने को मिला। बेटा अपनी मां को जिताने के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है। चुनाव बैनर में बेटे ने प्रत्याशी मां का फोटो नहीं लगाया है। चुनावी पोस्टर से प्रत्याशी मां का फोटो गायब है। पोस्टर में खुद को जनता के संकट का साथी को बताया है। पोस्टर में लिखा- न कोई लोभ न कोई लालच…संकट की घड़ी में साथ खड़े रहने का वादा…।
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