फीचर स्टोरी. महात्मा गांधी कहते थे कि विकास का रास्ता गांवों से तय होना चाहिए. ग्राम स्वराज से ही राज्य और देश को गति मिलेगी. गांव सुराज के बिना नवा बिहान नहीं हो सकता. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बापू के ध्येय वाक्य को विकास का सूत्र बनाकर काम करना शुरू किया. सरकार ने अपनी प्राथमिकता में गांवों को रखा.
चुनाव से पहले जो नारा था, सरकार बनने के बाद वही नारा गांवों में विकास का सहारा बना. नरवा-गरवा, घुरवा-बारी के साथ गांव-गांव में विकास की गंगा बहने लगी. राजीव गांधी से लेकर गोधन और बाद में भूमिहीन न्याय योजना के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली.
आज सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं के साथ सही नीति और नीयत का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी (बापू) का सपना साकार हो रहा है. बापू के सपने के साथ गांवों में विकास अब मजबूत आधार बन रहा है. ऐसा मजबूत आधार जिससे छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर गढ़ रहा है. एक नवा छत्तीसगढ़ बन रहा है. एक ऐसा छत्तीसगढ़ जिसकी पहचान देश में औद्योगिक ग्रामीण पार्क के रूप में भी अब होने लगी है.
ग्रामीण औद्योगिक पार्क के जरिए सरकार ग्रामीणों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के कार्य में जुटी है. इसका सुखद परिणाम आज कई गांवों में देखने को मिल रहा है. ऐसे एक आत्मनिर्भर गांव की एक कहानी से आप इसे समझिए.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 150 किलोमीटर दूर बस्तर का प्रवेश द्वार है उत्तर बस्तर. उत्तर बस्तर याने कांकेर. आदिवासी बाहुल्य वनांचल कांकेर. इसी कांकेर जिले में एक सुंदर गांव है ‘कुलगांव’. कुलगांव जिसे अब बापू का गांव भी कहा जाने लगा है. यह छत्तीसगढ़ का पहला गांधी ग्राम है. एक ऐसा ग्राम जहां ग्राम स्वराज को देखा जा सकता है. जहां साकार हो रहा है बापू का सपना है.
कुलगांव को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने प्राथमिकता के साथ अपनी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन करवाया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब कुल गांव पहुंचे तो उन्हें ग्राम स्वराज की उन सभी परिचायकों को जाकर देखा, जिसमें बापू की झलक नजर आती है. गांव में छोटे-छोटे कुटी उद्योगों के लिए जरूरी अधोसंरचना को विकसित गया है. गांव में 13 से अधिक आजीविका संबंधी गतिविधां संचालित हैं. गांव की अधिकतर महिलाएं कुटीर उद्योगों से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. गांव में वन विभाग ने ग्रामीणों के लिए लघु वनोपजों के वेल्यू एडिशन पर आधारित आवासीय प्रशिक्षण केंद्र भी शुरू किया गया है.
वहीं वन विभाग की ओर से गांव में इंदिरा वन मितान समूह को 50 लाख का लोन भी औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए दिया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने दौरे के दौरान समूह को दिए लोन को माफ करने का ऐलान किया, जिससे की बिना किसी बोझ के सफल तरीके से पार्क संचालन हो सके. कुलगांव में कई तरह की गतिविधियों का संचालन हो रहा है. साथ ही गांव में कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से मछली आहार बनाने, मशरूम उत्पादन, स्पान उत्पादन की इकाईयां भी स्थापित की गई है. वहीं मछलीपालन, बकरी पालन, मुर्गीपालन और वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन भी किया जा रहा है. ये सभी कार्य स्थानीय स्व सहायता समूह के लोगों के द्वारा किए जा रहे हैं.
गांव में ये अधोसंरचनाएं की गई हैं विकसित
इंटरलॉकिंग, सीसी रोड, डारमेंट्री, रेसीडेंसियल रूम, किचन हॉल, महिला स्व-सहायता समूह के कार्यशाला के लिए शेड का निर्माण, चबूतरा निर्माण, प्रशिक्षण कक्ष का निर्माण किया गया है. भूमिगत सिंचाई पाईपलाइन भी बिछाई गई है, अलंकृत उद्यान तैयार किया जा रहा है.
शीतला समूह को 50 हजार की आमदनी
गांव में मूर्गीपालन और अंडा उत्पादन का बड़े पैमान और आधुनिक तरीके से किया जा रहा है. समूह का काम अभी प्रारंभिक स्थिति में. उत्पादन जो हो रहा उसे आंगनबाड़ियों में भेजा जा रहा है. इससे समूह को अभी 50 हजार रुपये तक की आमदनी हो गई है.
पूजा समूह को 60 हजार की आमदनी
इसी तरह से पूजा समूह की ओर से मछली आहार तैयार करने का काम किया जा रहा है. प्रति दिन करीब 8 क्विंटल आहार का निर्माण हो जाता है. इसके साथ रागी आटा और पूरक पोषण आहार भी समूह की ओर से किया जा रहा है. कुछ समय में समूह को 60 हजार रुपये तक की आमदनी हो गई है.
मशरूम से आदमनी की शुरुआत
इसी तरह से लक्ष्मी समूह की ओर से मशरूम उत्पादन का काम किया जा रहा है. लक्ष्मी समूह ने मशरूम उत्पादन और स्पॉन उत्पादन इकाई की स्थापना के साथ कार्य को गति दी है. समूह को शुरुआत में 8 हजार रुपये की आमदनी इससे हो गई है.
दाल और मसाला उद्योग का कारोबार
गांव में ही दाल मिल और मसाल उद्योग का कारोबार भी चल निकला है. यह कारोबार सरस्वती समूह की ओर से किया जा रहा है. समूह के सदस्यों ने पार्क में दाल और मसाल मिल स्थापना की है. करीब 15 हजार रुपये का दाल अब तक समूह की महिलाएं कर चुकी हैं. इसी तरहा हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर भी महिलाएं हजारों रुपये की कर चुकी हैं. इसके साथ ही एक मिनी राइस मिल लगाकर भी महिलाएं धान कुटाई का काम कर रही है. अभी तक 26 सौ रुपये की आमदनी इससे हो गई है.
दोना-पत्तल से रोजगार और आय
गांव में संचालित औद्योगिक पार्क में बूढ़ादेव महिला समूह की ओर से दोना-पत्तल का निर्माण किया जा रहा है. दोना-पत्तल निर्माण के लिए यूनिट की स्थापना की गई है. यूनिट से प्रतिदिन करीब 10 हजार पत्तल का निर्माण किया जा रहा है. इसी तरह कोदो-कुटकी का उत्पादन भी महिलाएं कर रही हैं. समूह की महिलाओं द्वारा ढेंकी से चावल निकालने का काम भी किया जा रहा है.
हथकरघा वस्त्र प्रशिक्षण केंद्र
यहां बनाए गए हथकरघा वस्त्र प्रशिक्षण केंद्र में महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. साथ ही यहां बकरीपालन आदि की गतिविधि भी की जा रही है कुलगांव में चिरौंजी प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित किया गया है. कुलगांव में गोधन न्याय योजना के तहत 273 क्विंटल 85 किलो ग्राम गोबर का खरीदी किया गया है। इस गौठान में अब तक 70 बोरी वर्मी कंपोस्ट तैयार किया गया है.
मुख्यमंत्री का मानना है कि गांवों की अर्थव्यस्था को मजबूत करके ही हम राज्य की अर्थ व्यवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं. सरकार का पूरा ध्यान खेती-किसानी और गांव के लोगों को आर्थिक उत्पादन से जोड़ने पर है। गांव के उत्पाद का वेल्यूएडिशन कर लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि और उद्यानिकी उपजों के साथ ही लघुवनोपजों के वेल्यू एडिशन से रोजगार ने नए अवसरों का सृजन हो रहा है.
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