मुंबई. साल 2018 की शुरुआत से ही भारत के साथ साथ दुनियाभर के शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव औऱ उथल-पुथल का दौर जारी है. पूरी दुनिया में रह-रहकर कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है जो शेयर मार्केट में अस्थिरता पैदा करता है.
शेयर बाजार साल की शुरुआत में 36,444 के उच्चतम स्तर से लगभग 10 फीसदी की गिरावट अब तक देख चुका है. ब्लूचिप शेयर्स को छोड़ दें तो छोटी कंपनियों के शेयर लहूलुहान हो गए हैं. बीएसई मिडकैप और स्माल कैप इंडेक्स में अब तक करीब 15 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की जा चुकी है. वैसे इस समय मार्केट के विशेषज्ञ इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या भारतीय शेयर बाजार गिरावट या मंदी की चपेट में हैं. इसका जवाब आधा हां और आधा ना में है. दरअसल माना जाता है कि अगर शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर से 20 फीसदी की गिरावट दर्ज करता है तो उसे मंदी की चपेट में मान लिया जाता है. चूंकि भारतीय शेयर बाजारों ने गिरावट में 10 फीसदी का आंकड़ा छुआ है ऐसे में माना जा रहा है कि बाजार आंशिक गिरावट का शिकार हो चुका है.
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि ये दौर आगे भी जारी रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति की मेटल्स पर शुल्क लगाने की घोषणा औऱ फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए बाजार में कोई तेजी आने की उम्मीद नहीं है. उधर देश में राज्यों में एक के बाद एक होने वाले चुनाव औऱ मानसून की चाल के बाद ही मार्केट के रुख का पता चलेगा तब तक बाजार में सुस्ती कायम रहेगी. बैंकिंग सेक्टर में हो रहे एक के बाद एक घोटाले बाजार को भयभीत किए हुए हैं यही वजह है कि बाजार में फिलहाल औऱ आगे भी मंदड़ियों का ही बोलबाला रहने वाला है.
ऐसे में अगर आप भी बाजार से मुनाफे या कमाई की योजना बना रहे हैं तो सतर्क रहिए फिलहाल ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि बाजार में तेजी आएगी. इसलिए ये गिरावट का दौर अगले कुछ महीने औऱ जारी रह सकता है.