एनके भटेले, भिंड। मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। मंगलवार को उन्होंने निर्वाचन आयोग को इस संबंध में पत्र लिखा था, वहीं बुधवार को खुद फोन पर राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव आईएएस राजेश सिंह को शिकायत की है। उन्होंने भिंड जिले में हुई पुनर्मतदान को लेकर जुर्माने की द्विपक्षीय कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए हैं?
दरअसल बुधवार को मध्यप्रदेश में पहले चरण के नगरीय निकाय चुनाव आयोजित हुए जिसने भिण्ड जिले में 5 निकाय लहार नगर पालिका और दबोह, आलमपुर, मिहोना और रौन नगर परिषद के लिए मतदान हुआ। इस दौरान जगह जगह मतदाताओं को परेशान होना पड़ा। कई पोलिंग बूथ पर मतदातापर्ची और पहचान पत्र को लेकर वोटरों को रोका गया ऐसे में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह से लोगों ने सम्पर्क किया। उन्होंने इस संबंध में सीधा राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राकेश सिंह से फोन पर शिकायत की जिन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया। लेकिन काफी समय तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी पर तीखे शब्दों में निशाना साधा। कहा कि भिण्ड में लोकतंत्र और राज्य निर्वाचन आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ाकर भारतीय जनता पार्टी के लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
वहीं प्रथम चरण में लहार के पचोखरा में हुई री-पोल के बाद आरोपियों पर लगाए गए जुर्माने की कार्रवाई के बाद अब तक अटेर क्षेत्र के नई गढ़ी में भी द्वितीय चरण में मतपत्र फाड़े जाने और फर्जी मतदान की वजह से पुनर्मतदान हुआ था। लेकिन इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। भिण्ड कलेक्टर से सवाल करने पर उनका कहना था की यहां भी SDM को निर्देशित किया जा चुका है। आरोपियों को नोटिस जारी करने के लिए नई गढ़ी में भी कार्रवाई की जा रही है। हालांकि डॉक्टर गोविंद सिंह का कहना है की ना तो अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई को गयी और ना ही जिला निर्वाचन अधिकारी की हिम्मत हो रही है कार्रवाई करने की। वे सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई गम्भीर आरोप जिला प्रशासन पर लगाए हैं।
इधर बीजेपी (BJP) ने चुनावों के दौरान हुई गड़बड़ियों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाया है। बीजेपी मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने इस संबंध में ट्वीट किया है। उन्होंने टि्वटर पर लिखा है कि नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण में भारी संख्या में लोगों को मतदाता पर्चियां नहीं मिली और एक परिवार के वोट कई मतदान केंद्रों पर विभाजित कर दिए गए। इस कारण कई लोग वोट ही नहीं डाल पाए। चुनाव आयोग बताए, इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
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