पटना। छात्रों के नहीं आने से सैलरी का हकदार नहीं होने की बात कहते हुए 23 लाख रुपए विश्वविद्यालय प्रबंधन को लौटाने वाले बिहार के असिस्टेंट प्रोफेसर ललन कुमार की कलई खुल गई है. अब पता चला है कि उनके बैंक खाते में एक हजार रुपए से भी कम बैलेंस है. यही नहीं वे ट्रांसफर नहीं होने की वजह से परेशान थे.

ललन कुमार बाबा साहब भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के नीतीश्वर सिंह कॉलेज में कार्यरत हैं. उनका कहना था कि वे छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन छात्र आते ही नहीं, उनकी पढ़ाई बेकार जा रही है. ऐसे में उन्होंने छात्र नहीं आने को लेकर मंगलवार को विश्वविद्यालय के कुल सचिव को आवेदन के साथ-साथ दो साल 9 महीने के वेतन की राशि करीब 23 लाख का चेक दिया था.

अब जब हकीकत सामने आ गई है तो ललन कुमार ने कुल सचिव के साथ प्राचार्य को लिखित आवेदन देकर बताया कि उन्होंने 6 बार (ट्रांसफर) आवेदन दिया था, लेकिन अब तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए दुखी था. कुछ निर्णय करने की स्थिति में नहीं था. भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सका और भावावेश में आकर आवेदन के साथ अपने समूचे वेतन की राशि का चेक प्रस्तुत किया. वरिष्ठ लोगों द्वारा समझाने पर समझ में आ गया कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.

छात्र कह रहे नियमित होती है पढ़ाई

असिस्टेंट प्रोफेसर ललन कुमार भले ही कुछ बोलें लेकिन नीतीश्वर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं बताते हैं कि कॉलेज में हिन्दी की नियमित पढ़ाई होती है. यहां तक ललन कुमार स्वयं ऑनलाइन क्लास तो वो खुद कराते थे. पता नहीं ऐसा उन्होंने क्यों कहा. वहीं प्राचार्य डॉक्टर मनोज कुमार ने कहा कि कॉलेज में छात्र नहीं आने की बात बिलकुल गलत है. उन्होंने ट्रांसफर को लेकर इस तरह की बात कही है, लिखित रूप से स्वीकार किया है. अब विश्वविद्यालय अपने स्तर से मामले को देख रहा है. इस तरह का कार्य सही नहीं है.