रायपुर. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि प्रदेश में कहरा समाज के 61 व्यक्तियों के सामाजिक बहिष्कार का मामला आया है. जिसमें उस समाज के बहिष्कृत सदस्यों के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि समाज के पदाधिकारियों द्वारा उन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. इन परिवारों का सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने छट्ठी, दशकर्म, विवाह जैसे कार्यक्रमों में मनाही के साथ, हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है, जिससे इन परिवारों के सदस्य परेशान हो गए हैं. किसी भी व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार अनुचित और अमानवीय है.

डॉ. मिश्र ने प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को पत्र लिख कर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. साथ ही सरकार से सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सक्षम कानून बनाने की मांग की है. डॉ. मिश्र ने कहा बहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया कि शिकायत भी की है पर कार्रवाई न होने से सामाजिक पंचों के हौसले बुलंद हैं. बहिष्कार किए गए परिवार कमजोर आर्थिक परिस्थिति के हैं और बार-बार इस प्रकार की प्रताड़ना होने से गांव में अपमानित और असुरक्षित महसूस कर रहा है. देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है.

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डॉ. मिश्र ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बंद करना एक सामाजिक अपराध है और यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक व मानवाधिकारों का हनन है. प्रशासन को इस मामले पर कार्रवाई कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है. साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के संबंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए. ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड़ना से गुजरना न पड़े. किसी भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ना देना, उस का समाज से बहिष्कार करना अनैतिक और गंभीर अपराध है. शासन से अपेक्षा है कि सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें, ताकि हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके, बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह सकें.

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