पुरुषोत्तम पात्र गरियाबंद. हौसले बुलंद हो और इरादे मजबूत हो तो मंजिल मिल ही जाती है, फिर चाहे मंजिल की डगर कितनी ही कठिन क्यों न हो, ऐसा ही कुछ नवापारा-राजिम के कृष्ण कुमार सैनी ने कर दिखाया है. कृष्ण कुमार ने 13 जून को 26 घंटे में 140 किमी नॉनस्टॉप पदयात्रा कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है और अब 10 दिन में 600 किमी की पदयात्रा की है.
सैनी ने रायपुर से लगे चंदखुरी के माता कौशल्या मंदिर से रथयात्रा के दिन 1 जुलाई को दोपहर 2 बजे अपनी पदयात्रा शुरू की थी, जो 10 दिन पैदल चलने के बाद आज ओडिशा के जगन्नाथ धाम पहुंचकर संपन्न हुई. मंदिर समिति के सदस्यों ने सैनी का पूरी पहुंचने पर शाॅल ओढ़ाकर सम्मान किया गया. सैनी ने अपनी पदयात्रा के संबंध में बताया कि उन्होंने 10 दिन में कुल 596 किमी की दूरी तय की है. इसके लिए उन्होंने 106 घंटे 57 मिनट 10 सैकिंड का समय लिया और कुल 9, 89,770 कदम चले. वे जल्द ही पदयात्रा से जुड़े सभी प्रमाण इंडिया बुक ऑफ को भेज देंगे. उन्होंने अपनी इस पदयात्रा को भी इंडिया बुक रिकॉर्ड में दर्ज होने का भरोसा जताया है.
ये है पदयात्रा का मकसद
सैनी की पदयात्रा का मकसद छत्तीसगढ़ के लोगों की सुख समृद्धि और खुशहाली के साथ-साथ छग और ओडिशा के बीच जारी महानदी जल विवाद को खत्म करने महाप्रभु जगन्नाथ के समक्ष अर्जी लगाना है. सैनी ने कहा कि भगवान जगन्नाथ सबकी मनोकामना पूर्ण करते हंै इसलिए उसकी मनोकामना भी महाप्रभु जरूर पूरी करेंगे. सैनी की ये पदयात्रा भी जल्द ही इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने वाली है. उनकी इस सफलता से जहां उनके परिवार के लोग बेहद खुश हैं, वहीं नगरवासी भी उनकी इस उपलब्धि पर बेहद उत्साहित हैं. वही युवा भी इसे रोल मॉडल मान रहे.
जंगल भी बड़ी चुनौती रही
सैनी ने बताया कि 10 दिन में 600 किमी की पदयात्रा करना उनके लिए इतना आसान नही था. कभी बारिश तो कभी भारी उमस ने उनकी राह को कठिन करने की कोशिश की. बौध और नयागढ़ जिले की पहाड़ियां एवं बीच रास्ते में पड़ने वाले जंगल भी बड़ी चुनौती रही, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और विषम परिस्तिथियों में भी सफलता हासिल है.
सड़क पर गुजारनी पड़ी रात
सैनी ने बताया कि 10 जुलाई का दिन उनकी पदयात्रा का सबसे कठिन दिन रहा. एक तो उस दिन उनका 60 की बजाय 65 किमी की पदयात्रा का लक्ष्य था. दूसरा उस दिन का रास्ता भी ठीक नहीं था. उस रात सड़क पर गुजारनी पड़ी, क्योकि उसे पूरी से 22 किमी पहले साक्षीगोलाल में रुकना था, लेकिन पूरी में विशेष कार्यक्रम होने के कारण कोई होटल खाली नहीं मिला.
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