इमरान खान, खंडवा। खंडवा के अवधूत संत श्री 1008 केशवानंदजी महाराज (दादाजी धूनीवाले) के लाखों भक्त हैं. विशेषकर छिंदवाड़ा से लगे महाराष्ट्र के पांढुर्ना क्षेत्र में उनके हजारों अनुयायी हैं. दादाजी में उनकी आस्था का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वे निशान लेकर 300 किमी की पदयात्रा कर यहां पहुंच हैं. पदयात्रा कर आए मनोहर अरमरकर ने बताया कि वे पहली बार 9 माह की उम्र में मां की गोद में उनके दरबार आए थे. तब से यह परंपरा निर्बाध रूप से जारी है. हजारों की संख्या में उनके भक्त दूर दूर से पदयात्रा कर निशान लेकर आते है. खंडवा शहर में भी इन भक्तों की सेवा के लिए शहर के प्रवेश स्थलों से लेकर मुख्य मार्गों पर भंडारा का आयोजन किया जाता है. करीब 300 से अधिक स्थानों पर दो दिन तक भंडारे आयोजित होंगे. पूरा शहर बाहर से आए इन भक्तों की सेवा में जुट गया है.
पांढुर्ना से 40 भक्तों के साथ रथ लेकर निकले मनोहर अरमरकर ने बताया परिवार में तीन पीढ़ियों से धूनीवाले दादाजी के दर्शन की परंपरा है. मेरे पिता फिर मैं अब मेरे बच्चे यह परंपरा निभा रहे हैं. अरमरकर परिवार ही ऐसे कई सैकड़ों परिवार हैं जो हर साल निशान चढ़ाने कई किलोमीटर का सफर पैदल चलकर पूरा करते हैं और उनके दर्शन कर निशान अर्पित करते हैं.
श्रीदादाजी मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर्व 13 जुलाई को मनाया जाएगा, दो दिन पहले ही पदयात्रा कर आने वाले श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला शुरू हो गया है. बच्चे ,युवा और बुजुर्ग भी सैकड़ों किलोमीटर नंगे पैर चलकर ढोल-ढमाकों पर झूमते हुए भक्त निशान लेकर श्रीदादाजी धाम पहुंच रहे है.
श्रीदादाजी धूनीवाले एक अवधूत संत थे जिन्होंने 1930 में यहां समाधि ली थी. गुरू परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनके शिष्य छोटे दादाजी भी यहां 1942 में समाधि लीन हुए थे. तब से शिष्य की परंपरा को देखने लाखों की संख्या में भक्त यहां आते हैं।
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