साल में कुछ ही दिन ऐसा होता है जब विश्व में प्रक्रिति का अनोखा कारनामा देखने को मिलता है. आज के दिन वो दुर्लभ कारनामा होने वाला है. आज यानी 13 जुलाई को चांद पृथ्वी के सबसे करीब आने वाला है. आज के दिन चांद पृथ्वी से सिर्फ 3,57,264 किलोमीटर दूर होगा. दुनिया के कई शहरों में ‘सुपर मून’ का अद्भुत नजारा दिखाई देने वाला है.

सुपर मून से पृथ्वी पर पड़ेगा ये प्रभाव

बता दें कि बुधवार को पूर्णिमा भी है. इससे पहले 14 जून को वट पूर्णिमा के मौके पर चांद अपनी कक्षा में धरती के बेहद करीब था. जिससे इसका आकार सामान्य से काफी बड़ा देखने को मिला था. सुपरमून का पृथ्वी पर ज्वारीय प्रभाव हो सकता है. जिसके चलते उच्च और निम्न महासागरीय ज्वार की एक बड़ी श्रृंखला उत्पन्न होने की संभावना जताई जा रही है. खगोलविदों को उम्मीद है कि इस समय के आसपास समुद्र में तटीय इलाकों में हाई टाइड के चलते बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. धरती से चांद की दूरी उस वक्त 3 लाख 57 हजार 2 सौ 64 किमी होगी. इस सुपर मून को शाम के समय आसमान में दक्षिण पूर्वी दिशा में देखा जा सकेगा.

इसे भी पढ़ें – Sushant Drugs Case : रिया चक्रवर्ती की फिर बढ़ी मुश्किलें, NCB ने ड्राफ्ट चार्जशीट में एक्टेस और उनके भाई पर लगाए ये गंभीर आरोप …

साल का सबसे बड़ा सुपर मून दिखेगा आज

13 जुलाई को दिखने वाला सुपरमून साल का सबसे बड़ा सुपर मून होने वाला है. इसे ‘बक मून’ भी कहा जाता है. समय और तिथि के अनुसार, वर्ष के इस समय के आसपास हिरन के माथे से निकलने वाले सींगों के कारण पूर्णिमा को ‘बक मून’ नाम दिया गया है. दुनिया भर में इसे कई अन्य नामों जैसे थंडर मून, हे मून और विर्ट मून नाम से भी जाना जाता है. मूल अमेरिकी इसे सैल्मन मून, रास्पबेरी मून और कैलमिंग मून भी कहते हैं.

रात 12:07 बजे दिखाई देगा बक सुपर मून

बक सुपर मून 13 जुलाई की रात 12:07 बजे दिखाई देगा. इसके बाद यह एक साल बाद यानि 3 जुलाई, 2023 को दिखाई देगा. साल का आखिरी सुपरमून इस साल जून में देखा गया था, जिसे स्ट्रॉबेरी मून के नाम से जाना जाता है. उस समय चंद्रमा पृथ्वी से 3,63,300 किलोमीटर दूर था.

क्या होता है सुपर मून

सुपर मून के दिन चांद पृथ्वी पर बड़ा और चमकदार दिखाई देता है. यह घटना चंद्रमा के अपनी कक्षा में पृथ्वी के करीब आने के कारण होती है. जिसे पेरिगी के नाम से जाना जाता है. सुपरमून शब्द को 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा गढ़ा गया था. नासा के अनुसार, सुपर मून रोजाना के चांद की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा चमकीला होता है. सुपर मून दुर्लभ होते हैं. ये एक साल में तीन-चार बार ही आते हैं.

इसे भी पढ़ें – राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे लंका छोड़ भागे मालदीव, भाई की भागने की कोशिश रही नाकाम…

चंद्रमा लाल क्यों दिखता है?

जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह ढक जाता है तो अंधेरा छा जाता है लेकिन पूरी तरह स्याह नहीं होता. इसके बजाए यह लाल रंग का दिखता है इसलिए पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या रक्त चंद्रमा भी कहा जाता है. सूर्य के प्रकाश में दृश्य प्रकाश के सभी रंग होते हैं. पृथ्वी के वातावरण से गुजरने के दौरान प्रकाश में नीला प्रकाश छन जाता है जबकि लाल हिस्सा इससे गुजर जाता है. इसलिए आकाश नीला दिखता है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा छा जाती है.

इस साल से छह और सुपर मून

13 जुलाई को बक मून

11 अगस्त को स्टर्जन मून

10 सितंबर को हार्वेस्ट मून

9 अक्तूबर को हंटर मून

8 नवंबर को बीवर मून

7 दिसंबर को कोल्ड मून