नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने को लेकर भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 16वें दौर की वार्ता रविवार को भारतीय क्षेत्र चुशुल मोल्दो में होगी. इस बैठक में भारत गतिरोध वाले क्षेत्रों में मई, 2020 से पूर्व की स्थिति की तत्काल बहाली पर जोर देगा.
गलवान घाटी में जून, 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत-चीन के बीच सीमा पर स्थिति सामान्य करने के लिए 15 दौर की वार्ता हो चुकी है. इन वार्ताओं के दौरान पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील इलाके से तो चीन और भारत की सेनाएं पीछे हट चुकी हैं. मगर, तीन स्थान हॉट स्प्रिंग, डेमचौक और डेप्सांग के इलाकों में अभी भी दोनों देशों की सेनाएं टकराव की स्थिति में हैं. दोनों देशों के करीब 50-50 हजार जवान वहां तैनात हैं. भारत लगातार चीन के समक्ष इन क्षेत्रों में मई, 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग करता रहा है. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच 15वें दौर की वार्ता 11 मार्च को हुई थी. करीब चार महीने बाद अगली बैठक तय हो पाई है.
वर्तमान में 50-60 हजार सैनिक तैनात
बता दें पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया था. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी. वर्तमान में दोनों देशों के LAC और संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्र में 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.
जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से की थी बात
बीते हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत में भी पूर्वी लद्दाख की स्थिति का मुद्दा उठा था. जी20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से अलग एक घंटे की बैठक में जयशंकर ने वांग को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के जल्द समाधा की बात कही थी.
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